Ayodhya Ram Mandir: 500 वर्षो से वियोग के बाद अब मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपनी जन्मभूमि अयोध्या में विराजमान हो गए हैं। इस घड़ी का कई पीढ़ियों ने इंतजार किया। पीएम मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई और इस तरह सदियों का इंतजार खत्म हो गया। अब अपने प्रभु के अलौकिक दर्शन पाने को व्याकुल भक्त अयोध्या में जुटने लगे हैं। 23 जनवरी से राम भक्तों के लिए राम मंदिर के किवाड़ खुल रहे हैं।
नव निर्मित इस मंदिर में भगवान राम के बालरूप के दर्शन हो रहे हैं। रामलला की 200 किलोग्राम वजनी और 51 इंच लंबी मूर्ति पर अलंकृत वस्त्र और 5 किलो के आभूषणों की चमक श्रीराम के अद्भुत रूप को और अधिक निखार रहे हैं। शानदार आभूषणों और पोशाक से सुसज्जित प्रभु रामलला के बाल रूप की मूर्ति अयोध्या राम मंदिर में स्थापित हो चुकी है। यह रूप उनकी दिव्य स्थिति को दर्शाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और आलवन्दार स्तोत्र जैसे ग्रंथों में भगवान राम की शास्त्र सम्मत महिमा के वर्णन के बाद व्यापक शोध और अध्ययन पर आधारित है।
अयोध्या स्थित कवि यतींद्र मिश्र के निर्देश के अनुसार, इन आभूषणों को लखनऊ में हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स द्वारा तैयार किया गया है। राम लला को बनारसी कपड़े से सजाया गया है, जिसमें पीली धोती और लाल पटका/ अंगवस्त्रम है। ये अंगवस्त्रम शुद्ध सोने की जरी और धागों से अलंकृत हैं। जिन पर शुभ वैष्णव प्रतीक शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं। इन परिधानों को दिल्ली के टेक्सटाइल डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किया है, जो अयोध्या धाम में काम करते हैं।
रामलला की प्रतिमा का इन 14 आभूषणों ने निखारा रूप
मुकुट: उत्तर भारतीय परंपरा में तैयार किया गया मुकुट (मुकुट), सोने से बना है और माणिक, पन्ना और हीरे से सजाया गया है। मुकुट के बिल्कुल मध्य में सूर्य देव का प्रतीक है। मुकुट के दाहिनी ओर, मोतियों की लड़ियां जटिल रूप से बुनी गई हैं।
कुंडल: ‘मुकुट’ के पूरक के लिए डिजाइन किया गया, ‘कुंडल’ उसी डिजाइन का अनुसरण करता है और मोर के रूपांकनों से सजाया गया है। वे सोने, हीरे, माणिक और पन्ने से भी अलंकृत हैं।
कंथा: रामलला की गर्दन पर एक अर्धचंद्राकार हार है, जो रत्नों से जड़ा हुआ है। इसमें अच्छे भाग्य का प्रतीक पुष्प डिजाइन हैं, जिसके केंद्र में सूर्य देव की छवि है। सोने से बना और हीरे, माणिक और पन्ने से जड़ा यह हार दिव्य शोभा प्रदान करता है। कौस्तुभ
मणि: रामलला के हृदय में धारण की जाने वाली कौस्तुभ मणि एक बड़े माणिक और हीरे से सुसज्जित है। यह एक शास्त्रीय परंपरा है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार कौस्तुभ मणि को अपने हृदय में धारण करते हैं, इसलिए इसका समावेश किया गया है।
पदिका: गले के नीचे और नाभि के ऊपर पहना जाने वाला हार, दिव्य अलंकरण में महत्वपूर्ण। यह आभूषण हीरे और पन्ने से बना पांच लड़ियों वाला हार है, जिसमें एक बड़ा, अलंकृत पेंडेंट है।
वैजयंती या विजयमाला: यह तीसरा और सबसे लंबा हार है, जो सोने से बना है और बीच-बीच में माणिक से जड़ा हुआ है। विजय के प्रतीक के रूप में पहना जाने वाला यह आभूषण वैष्णव परंपरा के शुभ प्रतीकों – सुदर्शन चक्र, कमल, शंख और मंगल कलश को दर्शाता है। इसे कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी सहित देवी-देवताओं के प्रिय फूलों से भी सजाया जाता है।
कांची/करधनी: राम लला की कमर के चारों ओर एक रत्न जड़ित कमरबंद सुशोभित है, जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ सोने से बना है और हीरे, माणिक, मोती और पन्ना से सजाया गया है। इसमें पवित्रता का प्रतीक छोटी घंटियां भी हैं, जिन पर मोती, माणिक और पन्ने की लड़ियां लटकती हैं।
भुजबंध: रामलला दोनों भुजाओं में सोने और बहुमूल्य रत्नों से जड़ित बाजूबंदों से सुशोभित हैं।
कंगन और मुद्रिका : दोनों हाथों में सुंदर रत्नजड़ित चूड़ियाँ पहनी जाती हैं। दोनों हाथों में रत्नों से सजी और लटकते मोतियों वाली अंगूठियां पहनी जाती हैं।
छड़ा/पैंजनिया: राम लला के पैर रत्नजड़ित पायल और बिछिया से सुशोभित हैं, जिनमें हीरे और माणिक जड़े हुए हैं, साथ ही सुनहरी पायल भी हैं।
धनुष: रामलला के बाएं हाथ में मोती, माणिक और पन्ना से सुसज्जित सोने का धनुष है , जबकि दाहिने हाथ में सुनहरा तीर है। मूर्ति के गले में रंगीन पुष्प पैटर्न वाली एक माला है, जिसे एक समर्पित हस्तशिल्प संस्थान द्वारा तैयार किया गया है।
रामलला के माथे को हीरे और माणिक से बने पारंपरिक शुभ तिलक से सजाया गया है। चरण एक सुशोभित कमल है जिसके नीचे सोने की माला सुशोभित है ।
चांदी से बने पारंपरिक खिलौने: प्रभु के बाल रूप को देखते हुए उनके सामने चांदी से बने पारंपरिक खिलौने रखे गए हैं। इनमें एक झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौना गाड़ी और एक घूमता हुआ लट्टू शामिल हैं।
स्वर्ण छत्र: रामलला के दीप्तिमान प्रभामंडल के ऊपर एक देदीप्यमान स्वर्ण छत्र स्थापित है।
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