कोरबा,16 जनवरी I कोरबा जिले के पोड़ीबहार आदर्श नगर स्थित महाकालेश्वर शिव मंदिर 9 जनवरी से चल रही श्रीमद् भागवत कथा आज संपन्न हो गई। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। कथा वाचक वृंदावन से पधारे आचार्य राजेश शास्त्री जी ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई।
दरअसल महिला आदर्श समिति के तत्वाधान में श्री मद भागवत कथा का सात दिवसीय आयोजन कराया जा रहा है। से 27 मई तक चलने बाले धार्मिक आयोजन में हजारों की संख्या में धर्म प्रेमियों ने पहुंच कर धर्म लाभ लिया व श्रीमद् भागवत कथा के संपन्न होने पर प्रसाद ग्रहण भी किया।
श्रीमद भागवत कथा ज्ञान कथा व्यास आचार्य राजेश प्रसाद ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि छठवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य राजेश प्रसाद ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया।
तो वहीं कथावाचक आचार्य राजेश शास्त्री जी ने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। शास्त्री ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण व वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। साथ ही व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। सभी व्यक्ति को इसका रसपान करना चाहिए . श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान व वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।
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