मालदीव आज कल खूब चर्चा में है। भारत के साथ चल रहे टकराव के बीच हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत और मालदीव का रिश्ता काफी पुराना और गहरा है। दरअसल, मालदीव का नाम भी इस बात का सबूत है। आइए आज यह जानते हैं कि मालदीव का नाम कैसे पड़ा और क्या है इसका भारत के साथ संबंध।
ऐसे पड़ा इसका नाम…
दरअसल, मालदीव का नाम संस्कृत से आया है। यह नाम संस्कृत के शब्द मालाद्वीप यानी द्वीपों की माला से आया है। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि मालदीव के नाम का माल, मलयालम भाषा के माला से आया है, क्योंकि यह कई द्वीपों के समूह से बना है, इसलिए इसे द्वीपों की माला कहा जाता है। जैसे एक माला कई मोतियों से मिलकर बनती है, वैसे ही यह देश कई द्वीपों के समूह से बना है, इसलिए इसे मालदीव कहा जाता है।
इसके अलावा, श्रीलंका पर लिखी गईएक किताब महावंशा में भी इसके नाम के बारे में बताया गया है। इसमें मालदीव को महिलादिवा यानी महिलाद्वीप बताया गया है। दरअसल मालदीव, 1200 कोरल द्वीपों का एक समूह है, जो हिंद महासागर में मौजूद है। इस देश चारों ओर फैली नीला समुद्र, सफेद रेत और यहां की हरियाली, इस देश की खूबसूरती पर चार-चांद लगाते हैं। अपनी खूबसूरती और शानदार रिजॉर्ट्स की वजह से लोग यहां दुनियाभर से वेकेशन मनाने आते हैं। टूरिज्म मालदीव की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है, यही वजह है कि इस द्वीपों के देश को उसी तरह से विकसित किया गया है कि वे टूरिस्ट अट्रैक्शन बनें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले, अपने लक्षद्वीप विजिट की तस्वीरें शेयर की थीं, जिसके बाद, मालदीव के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसकी वजह से कई भारतीयों ने मालदीव घूमने जाने के अपने प्लान को रद्द कर दिया और इसके बाद सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा था। टूरिज्म कम होने की वजह से मालदीव को काफी नुकसान हो सकता है। आपको बता दें कि मालदीव के टूरिज्म इंडस्ट्री का बड़ा हिस्सा भारत के टूरिस्ट्स की वजह से आता है।
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