रायपुर,05 जनवरी । राज्य की नवगठित भाजपा सरकार को अब नए डीजीपी की तलाश है। वर्तमान पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा का कार्यकाल 5 सितंबर 2014 तक है। मगर सरकार बदलने के बाद डीजीपी बदलने की चर्चाएं तेज हो गई है। पुलिस विभाग के इस सबसे बड़े पद के लिए सत्ता के गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। कई तरह के दावे किए जा रहे। एक वर्ग का कहना है कि यहां अगर कोई नाम नहीं जमा तो बाहर से भी सरकार किसी आईपीएस को बुलाकर पुलिस महकमे की कमान सौंप सकती है। सरकार से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने दबी जुबां से स्वीकार किया है कि डीजीपी के मसले पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है मगर ये सही है कि विचार बाहर से आईपीएस बुलाने पर भी हो रहा है।
अशोक जुनेजा 89 बैच के आईपीएस हैं। वे जब डीजीपी बनाए गए तब छत्तीसगढ़ में 88 बैच के एकमात्र आईपीएस संजय पिल्ले उनसे सीनियर थे। वहीं 87 बैच के स्वागत दास मिनिस्ट्री आफ होम में स्पेशल सिकरेट्री हैं। स्वागत दास पहले आईबी में थे। मगर एमएचए में अब उनकी कोई खास पोस्टिंग नहीं है। उनका इसी साल नवंबर में रिटायरमेंट है। स्वागत कभी छत्तीसगढ़ में काम नहीं किए हैं। मध्यप्रदेश के समय ही वे डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे। राज्य बंटवारे में उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला मगर वे यहां न आए और न ही सरकार ने उन्हें बुलाने की कोशिश की। अब जब डीजीपी नियुक्ति की चर्चाएं शुरू हुई हैं, एक नाम स्वागत दास का भी आ रहा। जाहिर है, इस समय सीनियरिटी में वे सबसे उपर हैं।
वे अगर डीजीपी बन गए तो उन्हें फायदा यह होगा कि आज की तारीख से उनका कार्यकाल दो साल का हो जाएगा। याने रुटीन में वे नवंबर में रिटायर होंगे मगर डीजीपी बनने के बाद वे जनवरी 2026 में रिटायर होंगे। क्योंकि प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन है कि डीजी की नियुक्ति की डेट से दो साल का कार्यकाल रहेगा। अशोक जुनेजा इसी गाइडलाइन के तहत डीजीपी हैं। उनका पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश पिछले साल 5 सितंबर को निकला था। हालांकि, प्रभारी डीजीपी वे उस डेट से 11 महीने पहले बन गए थे। ऐसे में, स्वागत दास अगर डीजीपी बने तो उन्हें एक साल का कार्यकाल बतौर बोनस मिल जाएगा।
रही बात छत्तीसगढ़ के दावेदारों की तो अशोक जुनेजा के ठीक नीचे 90 बैच में राजेश मिश्रा हैं। राजेश के साथ दिक्कत यह है कि उनका इसी महीने रिटायरमेंट है। हालांकि, नाम उनका भी चल रहा। राजेश के बाद 92 बैच में पवनदेव और अरुणदेव गौतम हैं। फिर 94 बैच में हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लुरी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि स्वागत दास के अलावा भी कई विकल्प हैं। इनमें सेंट्रल फोर्सज में पोस्टेड दूसरे कैडर के अफसरों पर भी विचार चल रहा है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी सीनियर लेवल पर कई आईपीएस हैं।
अलबत्ता, सवाल यह भी उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस के हिसाब से अगर जुनेजा का 5 सितंबर तक कार्यकाल है तो उन्हें कैसे हटाया जाए? तो उनकी पोस्टिंग आदेश में सरकार ने बड़ी चतुराई से इस बात का उल्लेख किया है कि पोस्टिंग डेट से उनका कार्यकाल दो साल होगा या सरकार उन्हें हटा दे, उस डेट तक। कई प्रदेशों में राज्य सरकार ने डीजीपी को दो साल से पहले हटाया भी है। राज्य सरकार के खिलाफ कोई डीजीपी जाता भी नहीं। अभी तक सिर्फ एक दृष्टांत केरल का है। केरल के डीजीपी दो साल से पहले हटाने पर कोर्ट गए और उनके पक्ष में फैसला भी आया। बहरहाल, जुनेजा से सरकार को कोई दिक्कत नहीं। वे बीजेपी सरकार में भी प्रभावशाली पदों पर रहे। रमन सरकार ने ही उन्हें खुफिया चीफ बनाया था।
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