भिलाई,05 जनवरी । भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग में सफेद बाघों के परिवार के नए सदस्य दो शावकों को चार माह के इंतजार के बाद शुक्रवार से पर्यटक देख सकेंगे। इन नर शावकों का जन्म बीते साल सितंबर में हुआ था। चार माह की देखरेख व निगरानी के बाद इन्हें जू में बाहरी केज में रखा जाएगा। इन शावकों की अठखेलियां यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगी। गौरतलब है कि भिलाई मैत्री बाग सफेद बाघों की सबसे अधिक संख्या के साथ भारत के शीर्ष चिड़ियाघरों में से एक बन गया है।
मैत्री बाग प्रबंधन ने सेंट्रल जू अथारिटी के नियमानुसार अब तक देश के पांच से भी अधिक चिड़ियाघरों में सफेद बाघों का आदान-प्रदान किया है। मैत्री बाग प्रभारी व उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डा. एनके जैन ने बताया कि जू अथारिटी के मार्गदर्शन के अनुसार ही नए नन्हें शावकों और इनकी मां की देखभाल की गई।
गुफा जैसे माहौल देने अंधेरे कमरे में रखा गया था
मैत्री बाग में पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार स्तनपान, अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ चार माह के लिए एक अंधेरे कमरे में रखा गया। शावकों की देखभाल करते समय बाघिन मां अत्यधिक सतर्क और गुप्त रहना पसंद करती है, इसलिए गुफा जैसा माहौल बनाने, घूमने और पर्याप्त जगह बनाने के लिए बाघिन और नन्हें शावकों को नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था के साथ एक अलग बाड़े में रखा गया।
डा. एनके जैन के मुताबिक बाघिने जन्म के बाद पहले कुछ दिनों तक अपने शावकों की देखभाल में लगभग अपना 70 प्रतिशत समय गुजारती हैं। बाघिन मां नियमित रूप से शावकों को केवल थोड़े समय के लिए खाने-पीने के लिए छोड़ती हैं, जिससे शावक लगभग चार माह बाद पूर्ण रूप से मांस खाना सीख जाएं। प्रभारी व उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डा. एनके जैन के मार्गदर्शन में मैत्री भाग के जू-कीपर्स मुहर्रम, मोहन, नरसैया द्वारा शावकों के जन्म से लेकर वर्तमान तक पूरी निगरानी की गई।
सफेद बाघों की कुल संख्या 10 पहुंची
मैत्री बाग में एक और सफेद बाघिन ने बीते साल 28 अप्रैल को तीन नन्हें शावकों को जन्म दिया था। इसके बाद सितंबर में बाघिन रोमा ने दो शावकों को जन्म दिया। इसके साथ ही मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 10 हो गई है। उल्लेखनीय है कि मैत्री बाग में सन् 1997 में तरुण व तापसी की जोड़ी को नंदनकानन चिड़ियाघर ओडिशा से मैत्री बाग जू लाया गया था।
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