मजिस्ट्रेट पर फैसले सुनाने के आरोप,आरोपियों का पक्ष देखे-सुने बिना दिया फैसला, क्या है पूरा मामला

कोरबा। कोरबा में धारा 151 के मामलों में बिना सुनवाई के आरोपियों को जमानत देने या फिर जेल भेजे जाने को लेकर वकीलों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। वकीलों का कहना है कि प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में आरोपियों का पक्ष देखे-सुने बिना मजिस्ट्रेट फैसला दे रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने कोर्ट के बाबू पर भी पैसे मांगने का आरोप लगाया है।

जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में अन्य मामलों की तरह धारा 151 के मामलों में भी सुनवाई होती है। जिसमें जज अपना फैसला सुनाते हैं लेकिन बुधवार को पांच मामलों की सुनवाई में चार को जेल भेज दिया गया जबकि एक को जमानत पर रिहा कर दिया गया। वकील बाहर खड़े हुए हैं।

वकीलों ने बताया कि वे आरोपियों के जमानत के लिए मुचलका फॉर्म भी भरा और जरुरत पड़ने पर पट्टा पेश करने को भी तैयार थे। लेकिन उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं मिला। इस स्थिति के लिए वकीलों ने बाबू को जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि उन्होंने बाबू को रिश्वत के दौरान पैसे नहीं दिए। इस कारण पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।