नर्सरी एडमिशन के लिए बच्चों की स्क्रीनिंग पर रोक लगे: SC में रिव्यू पिटीशन दाखिल, अक्टूबर में कहा था- हम हर चीज का रामबाण नहीं

नर्सरी में एडमिशन के लिए बच्चों की वीडियो स्क्रीनिंग पर बैन लगाने को लेकर 26 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई। कोर्ट से अपील की गई- उस फैसले पर फिर विचार करें, जिसमें आपने दिल्ली के गर्वनर को 2015 के विधेयक पर सहमति देने या वापस करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में बच्चों की स्क्रीनिंग पर बैन लगाने का प्रस्ताव था, जो दिल्ली विधानसभा से 2015 में पास हुआ था।

NGO सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से यह रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई। तर्क दिया गया- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और तमिलनाडु के राज्यपालों को विधानसभा में पास बिलों को मंजूरी देने में देर करने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपालों को संविधान के अनुच्छेद 200 के प्रावधानों के अनुरूप काम करना चाहिए। जिसमें बताया गया है कि राज्यपाल विधानसभा से पास विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं या दोबारा विचार करने के लिए वापस भेज सकते हैं। उसे रोक नहीं सकते। सुप्रीम कोर्ट के इन कमेंट्स के बाद यह याचिका अहम हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को NGO की याचिका खारिज कर दी थी। तब कोर्ट ने कहा था- SC हर चीज के लिए रामबाण नहीं हो सकता है। क्या कानून बनाने के लिए कोई आदेश हो सकता है? क्या हम सरकार को विधेयक पेश करने का निर्देश दे सकते हैं?

हाईकोर्ट ने कहा था- कानूनी प्रोसेस में हस्तक्षेप नहीं कर सकते
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी NGO की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था – हम कानूनी प्रोसेस में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इसीलिए हम गर्वनर को दिल्ली स्कूल शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2015 पर सहमति देने या इसे वापस करने का निर्देश दे सकते।

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