मध्य प्रदेश में दो साल में शुरू हो जाएगी संक्रामक बीमारियों की जांच

भोपाल। राष्ट्रीय गैर संचारी रोग संस्थान (एनसीडीसी) की क्षेत्रीय लैब भोपाल दो वर्ष में काम शुरू कर देगी। राज्य सरकार ने यहां कटारा हिल्स के समीप झागरिया में लैब बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन दे दी है। जमीन का नामांतरण होने के बाद लैब निर्माण का काम शुरू होगा। इसे तैयार करने में लगभग 100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

इस लैब के शुरू होने पर ऐसी कई संक्रामक बीमारियों की जांच हो सकेगी, जिनके लिए अभी एनसीडीसी दिल्ली या नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी, पुणे सैंपल भेजने पड़ते हैं। इसमें पशुओं से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां जैसे हर्पीज, बर्ड फ्लू, प्लेग आदि शामिल हैं। कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग भी हो सकेगी। अभी यह सुविधा प्रदेश में एम्स भोपाल और डीआरडीई ग्वालियर में है।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अधोसंरचना मिशन (एबीएचआआइएम) के अंतर्गत देश में इस तरह की पांच लैब बनाई जा रही हैं। इनमें भोपाल के अतिरिक्त गुवाहाटी, देहरादून, बेंगलुरु और अहमदाबाद शामिल है। भोपाल में जमीन के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर बैठक हुई थी, जिसमें जल्द ही जगह चिह्नित करने की बात हुई थी, अब जाकर इसके लिए जमीन पिल पाई है। केंद्रीय बजट में घोषणा के बाद लगभग तीन वर्ष से जमीन की तलाश की जा रही थी। भोपाल-सीहोर रोड पर जमीन राज्य सरकार की ओर से दी जा रही थी, लेकिन यह जगह यह जगह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को पसंद नहीं आई थी।

लैब बनने से यह होगा लाभ

– वायरस से होने वाली बीमारियों में वायरल लोड का पता चल सकेगा।

– वायरसजनित बीमारियों पर शोध हो सकेगा।

– संक्रामक बीमारियों जांच व रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों के डाक्टर, विज्ञानी व अन्य अधिकारी-कर्मचारियों का प्रशिक्षण हो सकेगा।

– यहां पर सार्स, मार्स, निपाह, इबोला, एंथ्रेक्स जैसे खतरनाक वायरस से होने वाली बीमारी की पहचान भी हो सकेगी। यह लैब बायोलाजिकल सेफ्टी लेवल -2 (बीएसएल-2) के स्तर की होगी, जिससे यह जांचें संभव होंगी।