छत्तीसगढ़ न्यूज़। साय मंत्रिमंडल के विस्तार के भाजपा नेतृत्व ने हरी झंडी दे दी है। मंत्रिमंडल को फिलहाल 10 मंत्रियों तक सीमित रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कुल 13 पद हैं। लेकिन भाजपा फिलहाल तीन पद को खाली रखना चाह रही है। संकेत हैं कि पुराने मंत्रियों में चार और नए में तीन मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों ने पहले ही शपथ ले ली है। इस तरह 10 मंत्री वर्तमान में काम करेंगे। आने वाले दिनों में पार्टी नेतृत्व से बात कर तीन मंत्रियों के नामों का चयन किया जाएगा।
साय मंत्रिमंडल के विस्तार के भाजपा नेतृत्व ने हरी झंडी दे दी है। मंत्रिमंडल को फिलहाल 10 मंत्रियों तक सीमित रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कुल 13 पद हैं। लेकिन भाजपा फिलहाल तीन पद को खाली रखना चाह रही है। संकेत हैं कि पुराने मंत्रियों में चार और नए में तीन मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों ने पहले ही शपथ ले ली है। इस तरह 10 मंत्री वर्तमान में काम करेंगे। आने वाले दिनों में पार्टी नेतृत्व से बात कर तीन मंत्रियों के नामों का चयन किया जाएगा।
मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए भाजपा ने 40 और 60 का अनुपात बनाया है। यानी 10 मंत्रियों में चार पुराने होंगे और छह नए होंगे। अगर इस फार्मूले के तहत नाम तय किए गए तो पुराने चार मंत्रियों को साय मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। इसके अलावा तीन नए विधायकों को मंत्रिमंडल में लिया जाएगा। मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि राजभवन को मंत्रिमंडल के शपथ की सूचना दी जा चुकी है। लेकिन दिन व समय को लेकर अभी अनिश्चितता है। कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र के बाद 22 या 23 को शपथ दिलाई जाएगी।
पूर्व मंत्री जिनमें से चार का चयन संभावित
बृजमोहन अग्रवाल : भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। लगातार आठवीं जीत के साथ विधानसभा पहुंचे हैं। इस बार रिकार्ड 67 हजार से अधिक मतों से जीत मिली है। मंत्रिमंडल का लंबा अनुभव भी है। मप्र के अलावा रमन सरकार में 15 साल मंत्री रहे हैं।
रामविचार नेताम : आदिवासी वर्ग के वरिष्ठ विधायक हैं। गृहमंत्री से लेकर अन्य कई विभाग देखने का लंबा अनुभव है। इसके अलावा सरगुजा इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुलझे हुए नेता होने के साथ-साथ मिलनसार व्यवहार इनके पक्ष में जाता है।
केदार कश्यप : स्व. बलीराम कश्यप के पुत्र होने के साथ ही बस्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं। रमन सरकार में मंत्री रहे हैं। आदिवासी वर्ग से सुलझे हुए नेता के तौर पर पहचान है। निर्विवाद छवि के नेता होने के कारण इनको सरकार में मौका मिलेगा।
धरमलाल कौशिक: मंत्रिमंडल के लिए इनका नाम भी प्रमुखता से चल रहा है। ओबीसी वर्ग से होने के कारण इनके नाम पर विचार किया जा रहा है। ये विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। इनको सभी वर्ग के नेताओं में सौम्य चेहरे के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा राजनीतिक समझ भी बेहतर मानी जाती है।
दयालदास बघेल : नवागढ़ से विधायक हैं और एससी वर्ग से आते हैं। इस बार उन्होंने भूपेश सरकार के मंत्री रुद्र गुरु को हराया है। दयालदास बघेल पहले भी मंत्री रह चुके हैं। एससी वर्ग में इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। मंत्रिमंडल में ये एससी वर्ग का चेहरा होंगे।
नए विधायक जिनमें तीन का चयन संभावित
ओपी चौधरी : आईएएस की नौकरी छोड़कर 2018 में भाजपा में आए ओपी चौधरी को अच्छी समझ वाले नेता के तौर पर जाना जाता है। युवा हैं साथ में प्रबुद्ध वर्ग से होने के कारण ये पार्टी की पहली पंसद के तौर पर सामने आए हैं। ओपी का नाम मुख्यमंत्री के िलए भी लिया जा रहा था।
लखन देवांगन : कोरबा से विधायक हैं। ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा इन्होंने इस बार दिग्गज मंत्री जयसिंह अग्रवाल को हराया है। मंत्रिमंडल में कोरबा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही आम लोगों के बीच से आदमी को मंत्री बनाने का संदेश जाएगा।
गुरु खुशवंत साहेब : आरंग से मंत्री शिव डहरिया को हराने वाले गुरु खुशवंत साहेब सतनामी समाज के नेता हैं। उनके प्रभुत्व को देखते हुए इनको भी मंत्रिमंडल में मौका दिया जा सकता है। अगर इनको लिया गया तो संभवत: दयालदास बघेल का नाम कट सकता है।
सिद्धेश्वरी पैकरा/ लक्ष्मी रजवाड़े : सिद्धेश्वरी पैकरा आदिवासी वर्ग से आती हैं, जबकि लक्ष्मी आदिवासी वर्ग से नहीं हैं। ऐसे संकेत हैं कि दोनों में से किसी एक महिला को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। ये दोनों सरगुजा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। लक्ष्मी रजवाड़े भटगांव विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आई हैं जबकि पैकरा ने सामरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है।
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