रायपुर । रायपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पत्रकार एवं समाजसेवी रहे स्व. कुलदीप निगम की 21वीं पुण्यतिथि 16 दिसम्बर को थी। कुलदीप निगम का जन्म 10 जुलाई, 1964 को ननिहाल लखनऊ में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गाँव नर्रा, महासमुन्द एवं उच्च शिक्षा सराईपाली और रायपुर में हुई। उन्होंने बैचलर ऑफ जर्नलिज्म में गोल्ड मेडल प्राप्त किया, साथ ही पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से एम. ए. (भाषा विज्ञान) की पढ़ाई की। उन्होंने देशबंधु , हाईवे चैनल, दैनिक भास्कर, समवेत शिखर एवं हरिभूमि में अपनी सेवाएँ प्रदान की। पत्रकारिता के साथ- साथ उन्होंने समाजसेवा के लिये भी बहुत काम किया, उसमें प्रमुख रूप से बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय एवं राज्य वीरता पुरस्कार दिलाने, वृद्धाश्रम की स्थापना, विधवा विवाह केंद्र, मूक बधिर बच्चों के लिए स्कूल के साथ ही भारतीय बाल कल्याण परिषद, मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी सदस्य तत्पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के संस्थापक सदस्य एवँ प्रथम महासचिव के रुप मे कार्य किया। किन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था 10 दिसम्बर 2002 की रात एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के उपरांत उपचार के दौरान 16 दिसम्बर 2002 को एमएमआ. हॉस्पिटल, रायपुर में उन्होंने अंतिम साँस ली। 38 वर्ष के अल्प समय में उन्होंने जो कार्य किये, अकल्पनीय हैं। उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद आज अपनी एक नई पहचान बना चुका है। एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इस परिषद की भी नींव पड़ी। मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद से अलग होकर बने इस परिषद ने कम ही समय में अपनी ऐसी विशिष्ट पहचान बना ली और फिर इसकी चर्चा दिल्ली तक भी होने लगी। यह सब संभव हो पाया वरिष्ठ पत्रकार स्व. कुलदीप निगम के प्रयासों से, जो इस परिषद के संयोजक थे।
मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के विभाजन के लिये भारतीय बाल कल्याण परिषद ने स्व. कुलदीप निगम को छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के गठन की जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें संयोजक नियुक्त किया। उस समय निगम भारतीय बाल कल्याण परिषद में छत्तीसगढ़ से एकमात्र आजीवन सदस्य एवं मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी सदस्य, वीरता पुरस्कार आयोजन, श्रमिक कल्याण एवं विभिन्न उपसमिति में सदस्य थे। भारतीय बाल कल्याण परिषद में रहते हुए स्व कुलदीप निगम ने तत्कालीन मध्यप्रदेश के उन बच्चों के लिए बहुत काम किया था, जिन्होंने साहसिक कार्य तो किए, लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिल पा रही थी। स्व. निगम ने उन बच्चों के साहस को वीरता पुरस्कार दिलाने में अहम योगदान किया। यही वजह रही कि भारतीय बाल कल्याण परिषद ने स्व. कुलदीप निगम पर भरोसा किया और उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद की जिम्मेदारी सौंपी। स्व. कुलदीप निगम ने आजीवन अपनी इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
छत्तीसगढ़ बाल कल्याण परिषद से लगभग 27 नए सदस्य इससे जुड़े एवं इसके पंजीयन की कार्यवाही प्रारंभ की गई। सभी सदस्यों की पहली बैठक पं. रविशंकर विश्वविद्यालय में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करने के लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती अंदल दामोदरन एवं तत्कालीन महासचिव श्रीमती गीता सिद्धार्थ, मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद , भोपाल से महासचिव आर.पी. सराफ विशेष रुप से उपस्थित हुए थे। बैठक के पश्चात एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर तत्कालीन राज्यपाल दिनेशनंदन सहाय से मिलकर बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए चर्चा की। इस बीच मई 2001 को बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए बैठक आयोजित होने की सूचना मिलने पर परिषद के सदस्य कृष्ण कुमार निगम, राजेन्द्र निगम एवं अजय त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी से मुलाकात की और उन्हें बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए किये गए कार्यों की जानकारी दी। जोगी इससे काफी प्रभावित हुए और परिषद के संयोजक स्व. कुलदीप निगम, जो उस समय सराईपाली प्रवास पर थे, से टेलीफोन पर चर्चा की। इसके बाद राजभवन में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के रुप में नए रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही प्रारंभ की जाए। इसके संस्थापक सदस्य के रुप में तत्कालीन राज्यपाल दिनेशनंदन सहाय, तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी, तत्कालीन शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा, तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती गीतादेवी सिंह, स्व. कुलदीप निगम, राकेश भान, बी एल अग्रवाल एवं सोहनलाल डागा के नाम पर सहमति बनी। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद हेतु नए रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही प्रारंभ करने के साथ ही पूर्व में रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए लोगों को भी छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के सदस्यों के रूप में मान्यता दे दी गई।
उसके उपरांत छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद का विधिवत रजिस्ट्रेशन हुआ । लगभग सभी राज्यों में बाल कल्याण परिषद में राज्यपाल पदेन अध्यक्ष रहते है। इसलिए छत्तीसगढ़ में भी मूल संविधान में 4 पदों को पदेन रखा गया था, जिसके तहत परिषद में पदेन अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, एवं 2 उपाध्यक्ष क्रमश: स्कूल शिक्षा मंत्री एवं महिला बाल विकास मंत्री को बनाया गया। संविधान के अनुसार ही छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद की पहली कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष तत्कालीन राज्यपाल सहाय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अजित जोगी, उपाध्यक्ष तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा एवं श्रीमती गीता देवी सिंह, महासचिव कुलदीप निगम, एवं कोषाध्यक्ष राकेश भान को मनोनीत किया गया। इस तरह से कुलदीप निगम के सपनों को पंख मिला और छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद नए कलेवर के साथ गठित हुआ। निगम के स्वर्गवास के पश्चात माना कैम्प स्थित वृद्धाश्रम का नामकरण उनके नाम से किया गया एवं पैतृक ग्राम नर्रा का शासकीय विद्यालय का नाम भी कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किया गया। राज्य वीरता पुरस्कार का नाम स्व. निगम के नाम करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी की बैठक मे निर्णय सर्वसम्मति से पारित किया गया है, साथ ही वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा भी शासन से मांग की गई है। स्व. निगम को उनके जीवनकाल मे बहुत-सी संस्थाओं एवँ शासन द्वारा सम्मानित किया गया
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