शहर में अवैध होर्डिंग्स की भरमार, रेलवे की संपत्ति भी नहीं बख्श रहे, चौक-चौराहा,मोड़ भी डिस्टर्ब

कोरबा,16 दिसम्बर । नगर पालिक निगम,कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सभी जोनों में शासकीय भूमि पर अवैध रूप से विज्ञापन होर्डिंग्स की भरमार है। इन दिनों तो विधायक को बधाई देने में भी नियमों का माखौल उड़ाया जा रहा है। अनेक व्यापारी भी इसमें पीछे नहीं हैं। बॉस बल्ली, पाइप इत्यादि के सहारे नगर का ऐसा कोई स्थल नहीं है, जिसे छोड़ा गया हो और अवैध विज्ञापन प्रदर्शन ना किया गया हो। होर्डिंग्स विज्ञापन प्रदर्शन के लिए निगम द्वारा भारी राजस्व राशि की प्राप्ति पश्चात अधिकृत एजेंसी को 5 वर्ष के लिए दिए गए इस कार्य में संबंधित ठेकेदार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।

उन्होंने बताया कि कई बार लिखित, मौखिक व डिजिटल माध्यमों से संज्ञान उपरान्त भी कार्यवाही का शून्य होना यह बताने के लिए काफी है कि नगर निगम के अधिकारी जागती आंखों में सोए हुए हैं। संबंधित अधिकारियों के द्वारा राजपत्र में प्रकाशित नियम-निर्देश का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। यह कोई नई बात नहीं बल्कि आदत में शुमार हो गया है।

ज्ञातव्य हो कि कुछ ही माह पूर्व नगर निगम द्वारा अपने सभी जोनों में राजस्व प्राप्ति की मंशा एवं स्मार्ट सिटी की तर्ज पर होर्डिंग लगाने बाबत काफी महंगे दर पर टेंडर स्वीकृत किया गया था। सिर्फ आचार संहिता को छोड़कर प्रारंभ से अब तक विभिन्न प्रकार के व्यापारियों ,दुकानदारों ,बैंकों एवं सामाजिक ,राजनीतिक संगठनों द्वारा आए दिन शहर के लगभग सभी स्थलों पर विज्ञापनबाजी की जा रही है।

बिजली खभों, ओवरब्रिज,फुट ओव्हर ब्रिज एवं अन्धे मोड़, मुख्य सड़कों के तिराहा, चौक-चैराहों, फुटपाथों, सौन्दर्यीकरण को नुकसान पहुंचाते हुए, लगाने के बाद से ही बंद पड़े लैम्प के खंभों पर, बाँस बल्ली में होंर्डिग देखे जा सकते है। सुभाष चौक निहारिका में तो महापुरुषों की प्रतिमा को ही ढक दिया गया है। टीपी नगर,सीएसईबी चौक के पास तो रेलवे की सपत्ति को भी नहीं बख्शा गया।

चौक-चौराहे पर कई दिनों से पोस्टर/होर्डिंग लगाने से आवागमन में दिक्कत तो होती है,साथ ही ऊंचा होने के कारण ट्रैफिक सिंग्नल देखने में भी परेशानी होती है। डिवाइडरों में रेलिंग के सहारे तो खंभों में बंधे गए फ्लेक्स फ्रेम सहित सड़क की तरफ झुक जाने से भी लोग परेशान होते रहते हैं। ओव्हरब्रिज पर लगने वाले फ्लैक्स को देखने-पढ़ने के चक्कर में लोग अक्सर दुर्घटना कर बैठते हैं या संभावना बनी रहती है।


शासन की विज्ञापन नीति व पालन कराने वाले निगम को सीधे चुनौती दी जा रही है। कहा जा रहा था और चर्चा भी है कि भाजपा के राज में अवैधानिक काम करने वाले बक्शे नहीं जाते लेकिन यहां तो राज करने वालों से ज्यादा उनसे नजदीकी दिखाने वालों की होड़ में शासन के आदेश/ निर्देश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं दूसरी ओर निगम के जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह होकर समस्या रूपी कोढ़ में ठेकेदार के लिए तनाव रूपी खाज पैदा कर रहे हैं।


0 उल्लंघन है दण्डनीय
अवैध विज्ञापनकर्ताओं द्वारा अंतरविर्वष्ट प्रावधानों/ निर्देशों का उल्लंघन कर अधिनियम की धारा 248 के निबंधनों में अपराध तथा 434 के अधीन दंडनीय किये जाने का प्रवधान किया गया है। बावजूद उनके द्वारा व्यवसाईयों/ जनप्रतिनिधियों के लोगों से मिलकर बेखौफ अवैध विज्ञापन प्रदर्शन कराया जा रहा है। शासन द्वारा निर्धारित प्रकाशित उपविधियो के उपबंधों के अनुसार आयुक्त की शक्तियों के प्रयोग या दायित्वों के निर्वहन में हस्तक्षेप कर ऐसे तत्वों द्वारा निरंतर बाधा पहुंचाई जा रही है। इसके बावजूद निगम आयुक्त तमाम संज्ञानों व आवेदन/निवेदन के पश्चात चुप हैं। क्या अब यह मामला कोर्ट में ले जाना चाहते हैं क्योंकि ठेका लेने वाला लाखों का घाटा सह रहा है।