आज रात आसमान में दिखेगी टूटते तारों की बरसात, जेमिनिड मीटियोर शावर आज पीक पर होगा, देखना न करे मिस

जेमिनिड मीटियोर शावर आज रात में अपने पीक पर होगा, जिसे 15 दिसंबर की सुबह तक आसमान में देखा जा सकेगा। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए आपको किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं होगी। मीटियोर शावर तब होते हैं जब एस्टेरॉयड या कॉमेट के छोटे अवशेष हाई स्पीड से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं जिससे आकाश रोशन हो जाता है।

इन द स्काई के अनुसार, नई दिल्ली में मीटियोर शावर 14 दिसंबर को शाम 6.53 बजे के आसपास दिखाई देना शुरू हो जाएगा, जब इसके रेडिएंट पॉइंट पूर्वी क्षितिज से ऊपर उठेंगे। अगले दिन सुबह लगभग 6.36 बजे तक ये शावर दिखाई दे सकता है। अपने पीक पर आकाश में प्रति घंटे 150 मीटियोर्स हो सकते हैं। यानी, 2-3 मीटियोर हर मिनट दिख सकते हैं।

जेमिनिड को उसका नाम जेमिनी तारामंडल से मिला है, क्योंकि उनका रेडिएंट पॉइंट इसके भीतर स्थित है। आकाश में रेडिएंट की पोजिशन मीटियोर शावर की स्ट्रेंथ को प्रभावित करती है। आप जितना दूर उत्तर में होंगे, चमक उतनी ही अधिक होगी। शावर के दौरान मूनलाइट की अनुपस्थिति भी इसे देखने के एक्सपीरियंस को बढ़ा देती है। यानी डार्क स्काई में ये अच्छा दिखाई देता है।

चीन में 13 दिसंबर 2020 को ली गई जेमिनिड मीटियोर शावर की तस्वीर।

बेहतर एक्सपीरियंस के लिए टिप्स

  • बेस्ट विजिबिलिटी के लिए लाइट और प्रदूषण से दूर एक अंधेरी जगह चुनें।
  • जेमिनी कॉन्स्टिलेशन में रेडिएंट का पता लगाएं। ये ओरियन बेल्ट के करीब होता है।
  • आंखों को अंधेरे के साथ तालमेल बिठाने के लिए 30-45 मिनट का समय दें।

जेमिनी कॉन्स्टिलेशन को पहचानने का सबसे आसान तरीका है ओरियन की बेल्ट का पता लगाना, फिर उस लाइन को फॉलो करना जो रिगेल (ओरियन का दाहिना पैर और सबसे चमकीला सितारा) से ऊपर की तरफ बेटेलगेस (ओरियन के बाएं कंधे) की ओर जाती है। यहां आपको कैस्टर और पोलक्स दिखेंगे। इससे कॉन्स्टिलेशन की पहचान हो जाएगी।

‘3200 फेथॉन’ के मलबे से होता है जेमिनिड मीटियोर शावर
जेमिनिड मीटियोर शावर तब होता जब पृथ्वी एस्टोरॉयड ‘3200 फेथॉन’ के मलबे (डेब्री) से होकर गुजरती है। ‘3200 फेथॉन’ को ‘रॉक कॉमेट’ भी कहा जाता है। फेथॉन के धूल के कण लगभग 34 किमी प्रति सेकेंड की गति से पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर आकाश में चमक पैदा करते हैं। इसे आम भाषा में टूटता तारा या शूटिंग स्टार भी कहा जाता है।

एस्टेरॉयड, कॉमेट और मीटियरॉयड में अंतर

  • एस्टेरॉयड छोटे रॉकी ऑब्जेक्ट होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
  • कॉमेट भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन ये बर्फ से बने होते हैं।
  • एस्टेरॉयड या कॉमेट से अलग हुए छोटे टुकड़े को मीटियोरॉयड कहते हैं।

हरे रंग के दिखते हैं जेमिनिड शावर
नासा के मीटियोरॉयड एक्सपर्ट बिल कुक के अनुसार, ज्यादातर मीटियोर्स अपनी रासायनिक संरचना के आधार पर रंगहीन या सफेद दिखाई देते हैं। जेमिनिड का रंग हरा होता है। हरा आमतौर पर ऑक्सीजन, मैग्नीशियम और निकल से आता है।