KORBA : पुलिसकर्मियों को चकमा देकर लूट व मारपीट का मुख्य आरोपी फरार, मानिकपुर पुलिस चौकी में तीन आरोपी की हुई थी गिरफ्तारी

0. घटना से महकमे में हड़कंप, आरोपी की सरगर्मी से तलाश जारी

कोरबा,12 दिसंबर । पुलिस महकमें उस समय हड़कंप मच गया, जब लूट और मारपीट का मुख्य आरोपी पुलिस कर्मियों को चकमा देकर भाग निकला। घटना के वक्त एक पुलिस कर्मी दो आरोपी को जेल दाखिल करा रहा था, जबकि दो पुलिस कर्मी बाहर मौजूद थे। घटना से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस वैधानिक कारवाई करते हुए फरार आरोपी की सरगर्मी से तलाश कर रही है।

दरअसल तुलसीनगर में रहने वाले पेशे से पत्रकार उमेश यादव के साथ 26 अगस्त की रात मारपीट व लूट की घटना घटित हुई थी। बदमाशो ने 1 लाख 50 हजार नगदी व तीन मोबाईल लूट कर फरार हो गए थे। मामले में मानिकपुर पुलिस ने मारपीट और लूट का अपराध पंजीबद्ध किया था। पुलिस आरोपियों की पतासाजी कर रही थी। इसी बीच पुलिस ने मुख्य आरोपी पोंडीबहार निवासी राहुल चौहान के अलावा दर्री निवासी विजय कंवर व पंप हाउस में रहने वाले अर्जुन यादव को गिरफ्तार कर लिया। मामले में वैधानिक कार्रवाई उपरांत तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। इसके लिए पुलिस चौकी मे तैनात आरक्षक संजय साहू, रतन राठौर व नगर सैनिक राजेश दुबे की ड्यूटी लगाई गई थी। बताया जा रहा है कि पुलिस कर्मी कोर्ट से जेल वारंट जारी होने पर मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचे, जहां से डॉक्टरी परीक्षण उपरांत आरोपियों को जिला जेल ले जाया गया। इस दौरान पेशी के लिए गए बंदी भी जेल दाखिल हो रहे थे। उनके पीछे आरक्षक संजय साहू दो आरोपी विजय और अर्जुन को लेकर जेल के भीतर चला गया, जबकि मुख्य आरोपी बाहर ही था। जेल के दरवाजे को दोबारा खोलकर देखा गया तो आरोपी राहुल चौहान फरार हो चुका था। घटना के वक्त नगर सैनिक वाहन में बैठा था, वही दूसरा आरक्षक दूर खड़ा था। उन्हें आरोपी के फरार होने की भनक तक नहीं लगी। यह खबर मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। आला अफसरों के निर्देश पर पुलिस ने फरार आरोपी की तलाश शुरू कर दी। घटना को 17 घंटे बीत जाने के बावजूद जाने के बावजूद आरोपी का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

पुलिस जवानों पर गिर सकती है कार्रवाई की गाज

इस पूरे मामले में पुलिस जवानों पर कारवाई की गाज गिर सकती है। दरअसल आरोपियों को जेल दाखिल करते समय नगर सैनिक वाहन में बैठा था, जबकि आरक्षक दूर खड़ा था। एक आरक्षक ही दो आरोपी को लेकर जेल के भीतर पहुंचा था। यदि आरक्षक सावधानी बरतते तो आरोपी को फरार होने से रोका जा सकता था।