छत्तीसगढ़ को मिलेगा आदिवासी CM ? इस नेता को राजगद्दी पर बैठा सकती है भाजपा

रायपुर I विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा ने छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की है। भाजपा ने प्रदेश की 90 में से 54 सीटों पर जीत दर्ज की है और अब नए मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के नए सीएम का चुनाव करने के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और महासचिव दुष्यंत गौतम की जिम्मेदारी सौंपी है।

हालांकि कयासों का बाजार गर्म है और कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। लेकिन अंतिम मुहर अभी लगना बाकी है। बताया जा रहा है कि सभी ऑब्जर्वर सोमवार तक रायपुर पहुंचेंगे और फिर विधायक दल की बैठक में नए सीएम का चुनाव किया जाएगा।

 बात करें छत्तीसगढ़ की 90 सीटों की तो भाजपा ने इस बार 20 आदिवासी सीटों पर जीत दर्ज की है, जिसमें सरगुजा की सभी 14 और बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर कब्जा जमाया है। इन 8 सीटों में से 7 आदिवासी सीट हैं। ऐसे में अगर देखें तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत का श्रेय आदिवासियों को ही जाता है। यानि ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि भाजपा ने साल 2018 खोया हुआ भरोसा 5 साल के भीतर वापस पा लिया है।

बात करें कि छत्तीसगढ़ के सीएम फेस की तो आदिवासी सीएम की मांग लंबे समय से हो रही है। वहीं, विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सीएम पद के लिए कई आदिवासी नाम भी सामने आ रहे हैं। इनमें रेणुका सिंह, विष्णुदेव साय और रामविचार नेताम जैसे कद्दावर नेताओं का नाम शामिल है। ऐसे में अब ये कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ को इस बार आदिवासी सीएम की सौगात मिल सकती है। कहा तो ये भी जा रहा है कि भाजपा छत्तीसगढ़ को पहली महिला सीएम की सौगात भी दे सकती है।

सियासी गणित की बात करें तो साल 2024 में लोकसभा चुनाव होना है और ऐसे में भाजपा आदिवासियों के बीच अपने जनाधार को खोना नहीं चाहेगी। वहीं, भाजपा ऐसे नेता को सीएम बनाना चाहेगी को प्रदेश की राजनीति में विपक्ष को करारा जवाब दे सके और केंद्र भी अच्छी पैठ रखे। इन मानकों को अगर देंखें तो विष्णुदेव साय ही एक ऐसे नेता हैं जो फीट बैठते हैं। विष्णुदेव साय शांत और सौम्य छवि वाले नेता हैं और उनका विवादों से कम ही नाता रहा है। ऐसे में भाजपा विष्णुदेव साय को सीएम की कुर्सी में बैठा सकती है।

कौन हैं विष्णुदेव साय?

विष्णुदेव राय छत्तीसगढ़ की कुनकुरी विधानसभा से आते हैं। राज्य में आदिवासी समुराय की आबादी सबसे अधिक है और साय इसी समुदाय से आते हैं। विष्णुदेव साय 2020 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। इतना ही नहीं राय की गिनती संघ के करीबी नेताओं में होगी है। साल 1999 से 2014 तक वह रायगढ़ से सांसद रहे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साय को केंद्र में मंत्री बनाया गया, जिसके बाद इन्होंने संगठन से इस्तीफा दे दिया था।

कौन हैं रेणुका सिंह

रेणुका सिंह छत्तीसगढ़ की फायरब्रांड नेत्री में से एक हैं जो विपक्ष के आरोपों पर करारा जवाब देना बखूबी जानतीं हैं। छत्तीसगढ़ के नए सीएम की रेस में इनका भी नाम है। रेणुका सिंह ने भरतपुर सोनहत सीट से जीत दर्ज की है। रेणुका सिंह सदस्य जनपद पंचायत रामानुजनगर रही हैं। इसके अलावा मंडल अध्यक्ष रामानुजनगर जिला सरगुजा भी रही हैं। वह प्रदेश मंत्री महिला मोर्चा छत्तीसगढ़ रही हैं। वे 2003 में पहली बार प्रेमनगर विधानसभा सीट से विधायक चुनी गई थी। फिर उन्होंने 2008 में उन्होंने कांग्रेस के नरेश कुमार राजवाड़े को हराया और दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुई। इसके बाद रमन सरकार में उन्हें महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन का राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। उन्हें उपाध्यक्ष उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की भी जवाबदारी सौंपी गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सरगुजा लोकसभा से भाजपा की टिकट पर लड़कर जीत हासिल की है और केंद्रीय मंत्री भी रहीं। लेकिन रेणुका सिंह कई बार अपने बयानों के चलते विवादों में घिर चुकीं हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव और आदिवासियों को साधने के भाजपा के फार्मूले में रेणुका सिंह उतनी ​फीट नहीं बैठती जितना कि विष्णुदेव साय बैठते हैं।

कौन हैं राम विचार नेताम

सीएम पद की रेस में एक नाम रामविचार नेताम का भी है जो आदिवासी समाज का बड़ा चेहरा है। रामविचार नेताम भी सौम्य और शांत छवि वाले नेता माने जाते हैं। उन्होंने पहली बार 1990 में चुनाव जीा था। फिर 1993 में दूसरी, 1998 में तीसरी, 2003 में चौथी और 2008 में लगातार चुनाव जीतकर पांचवी बार विधायक बनें। वहीं, 2001 से 2003 तक के रामविचार नेताम अविभाजित सरगुजा जिले के जिला भाजपा अध्यक्ष बने। भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष रहे। भाजपा की सरकार में वे राजस्व, आदिम जाति कल्याण, गृह व जेल, उच्च शिक्षा,जल संसाधन मंत्री रहें। रामविचार नेताम भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रहने के साथ झारखंड राज्य के सह प्रभारी व अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी का भी दायित्व सम्हाला। 2013 में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी बृहस्पति सिंह ने चुनाव हराया। जिसके बाद वे 2018 के चुनाव में भी विधायक नही बन सके। भाजपा ने उन्हे विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2015 में राज्यसभा सांसद बनाया।

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