कांकेर,07 दिसम्बर । भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सरला आत्राम के कुशल मार्गदर्शन एवं समाजशास्त्र विभाग, इतिहास विभाग के सौजन्य से महाविद्यालय में घोटूल मॉडल का निर्माण किया गया। बस्तर जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है यहाँ पर गोड, हल्बा, भतरा, मुरिया, मादिया, धु्रवा, दोरला प्रमुख है। जनजातियों की पहचान उनके नृत्य, गीत, संस्कति, संस्कार एवं परम्पराओं से होता है।
उन्हें अक्षुण्य बनाये रखने में उनका संरक्षण आवश्यक है। इस संग्राहालय में वस्तुओं के संग्रह के लिये समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.व्ही. क. रामटेके, डॉ. बसंत नाग, पुनित राम तडके, इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शरद ठाकुर, डॉ पूनम साहू एवं प्रो. सुमिता पाण्डेय तथा महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापको का सक्रिय योगदान रहा है। चित्रकला के माध्यम से जनजाति संस्कृति एवं उनके जीवन शैली को समाजशास्त्र विभाग के विद्यार्थियों द्वारा दीवारों पर उकेरा गया।
प्राध्यापकों के निर्देशन में जिन विद्यार्थियों ने घोटूल मॉडल को संवारा और सजाया, वे है कु. कामाक्षा सुदद्वार, फु तरूणा जैन, भुपेन्द्र कुमार नेताम, करन मरकाम मनीष कुमार नेताम, पिन्टुराम कांगे, कुशल नेताम, कुंदन मंडावी, योगेश कुमार मंडावी, रविना जैन, हेमलता नेताम, मनीष कुमार मण्डावी, तरूण सलाम आदि ने जनजाति कला को चित्रांकित किया। आधुनिकीरण के इस दौर में लोग अपनी प्राचीन विरासत, जनजाति संस्कृति को भूलते जा रहे है। महाविद्यालय के द्वारा सांस्कृतिक धरोहर को जन जन तक पहुँचाने एंव विद्यार्थियों को अपने विरासत की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से निर्मित यह घोटूल मॉडल सफल और सार्थक सिद्ध होगा।
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