रायपुर,24 नवंबर । अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में गायत्री प्रज्ञा पीठ संतोषी नगर व रायपुर महानगर के गायत्री परिजनों के सहयोग से 15 से 18 दिसम्बर तक टिकरापारा के दशहरा मैदान में आयोजित होने वाले 51 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ व प्रज्ञा पुराण पुस्तक मेला, प्रदर्शनी, विविध संस्कार व दीपयज्ञ के लिए भूमिपूजन 24 नवंबर को सम्पन्न हुआ।
महायज्ञ संचालन संयोजक रामकृष्ण साहू ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक एवं संरक्षक वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य व माता भगवती देवी शर्मा ने मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण के लिए गायत्री मंत्र साधना और यज्ञ कर्म को आवश्यक माना है। गायत्री मंत्र साधना से मनुष्य के बुद्धि क्षमता का अनंत विस्तार होता है, वहीं पर पूर्ण श्रद्धा और विधि सम्मत किया हुआ महायज्ञ से पर्यावरण का परिष्कार संवर्धन एवं समाज में सांस्कृतिक एकता, समरसता और भाई चारे का वातावरण निर्मित होता है।
उक्त महायज्ञ संचालन शांतिकुंज हरिद्वार के ऋषिपुत्रो द्वारा संपन्न होगा। 15 दिसंबर को सद्गुरू ज्ञान गंगा, सदग्रंथ शोभा यात्रा मंगल जल-कलश यात्रा, 16 से 18 दिसंबर तक प्रतिदिन प्रातः 8 बजे ध्यान साधना प्रज्ञा योग व प्रातः 8:30 से गायत्री महा-यज्ञ, दोपहर 1 से दोपहर 2:30 बजे तक भोजन प्रसाद व कार्यकर्ता गोष्ठी, दोपहर 3 से 5:30 प्रज्ञा पुराण कथा शाम 5:30 से 7 तक प्रवचन होगा तथा पूर्णाहुति 18 दिसंबर को होगी। इस महायज्ञ में सभी संस्कार निःशुल्क होगें जिसका समय पूर्व पंजीयन आवश्यक है। महायज्ञ में बैठने के लिये भारतीय वेशभूषा में आने का अनुरोध किया है।
भूमिपूजन में पूर्व सांसद चंदूलाल साहू, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मोतीलाल साहू, मनमोहन सिंह सैलानी, शांतिकुंज हरिद्वार से प्रतिनिधि सुखदेव निर्मलकर, गायत्री परिवार छत्तीसगढ़ की जोन समन्वयक श्रीमती आदर्श वर्मा, उपजोन समन्वयक सी पी साहू, जिला समन्वयक लच्छुराम निषाद, वरिष्ठ परिजन शरद इंद्राणी दुबे, सदाशिव हथमल जी, रामकृष्ण साहू, सनमान सिंह, सुखदेव देवांगन, नारायण लाल साहू, जगमोहन चंद्राकर, आर एस चौरसिया, श्रीमती चित्ररेखा साहू, श्रीमती उर्मिला नेताम, एस.एन राय, नीलकंठ साहू, श्यामलाल शर्मा, रामभरोसा निषाद, बुधारू राम साहू, हीरालाल निषाद, हीरालाल साहू, दीनानाथ साहू, हरिराम साहू, कृष्णा गजेंद्र एवं अन्य क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
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