कोरबा: ठंड का असर बढ़ते ही अपने देश लौटने लगे प्रवासी पक्षी

कोरबा, 20 नवम्बर । ठंड की दस्तक के साथ ही श्रीलंका सहित कई देशों से आने वाले पक्षियों का प्रवास काल कनकी में पूरा हो चुका है। अब वे अपने बच्चों के साथ मीलों का सफर पूरा कर स्वदेश लौटने लगे हैं।

दशकों से यह खास किस्म के पक्षी घोंगिल ओपनबिल्ड स्टार्क जिले के कनकेश्वर धाम को अपने प्रवास का सबसे प्रिय स्थान बना लिया है। वे यहां प्रजनन के लिए आते हैं।

पक्षियों का आगमन जून महीने में होता है। यह वह माह होती है जब शिव की आराधना के पवित्र माह सावन की भी शुरूआत होती है। भगवान शिव की आराधना के लिए प्रख्यात कनकेश्वर धाम में पक्षियों का आगमन शिव की आराधना से जुड़ा हुआ है। ग्रामीण इन पक्षियों को आस्था से जोड़कर देखते हैं। बरसात की शुरूआत में इनका आगमन होने के करण इन्हें मानसून का सूचक भी माना जाता है। अब ठंड की शुरुआत होते ही पक्षी वापस लौटने लगे हैं। यह अपने घोसले इमली, बरगद ,पीपल,बबूल व बांस के पेड़ों पर बनाते हैं। स्टार्क पक्षी 10 से 20 हजार की संख्या तक अपने घोंसले बनाते हैं। एक पेड़ पर 40 से 50 घोसले हो सकते हैं। प्रत्येक घोसले में चार से पांच अंडे होते हैं। सितंबर के अंत तक इनके चूजे बड़े होकर उड़ने में समर्थ हो जाते हैं।

घोसलों का स्थान भी निश्चित होता है। जहां प्रत्येक वर्ष यह जोड़ा उन्ही टहनियों पर घोसला रखता है जहां पूर्व के वर्ष में था। गांव कनकी की जलवायु में प्रवासी पक्षियों को प्रजनन काल के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है। जिसके कारण ही यहां पिछले कई दशकों से यह सिसिला लगातार चलता आ रहा है। मुख्यतौर पर यह पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया,श्रीलंका और दक्षिण भारत में भी पाए जाते हैंं। पक्षी कीट भक्षी होने के कारण किसानाें के सहयोगी हैं। धान की फसल को नुकसान करने वाले कीटों ये चट कर जाते हैं। प्राकृतिक आपदा गाज के कारण हर साल यहां पक्षियों की मौत होती है। इसके अलावा खेतों रासायनिक दवाओं के छिड़काव की वजह से पक्षियों के खतरा बना है। यही वजह है कि प्रवासी पक्षियाें की संख्या लगातार कम हो रही है।