Vedant Samachar

क्या होता है हार्ट ट्रांसप्लांट और क्यों पड़ती है इसकी जरूरत

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हार्ट ट्रांसप्लांट एक ऐसा ऑपरेशन है, जिसमें किसी व्यक्ति के बीमार या खराब दिल को किसी स्वस्थ व्यक्ति के दिल को लगाया जाता है. यह उन्नत हृदय विफलता के कुछ मामलों में एक जीवन-रक्षक प्रक्रिया है. इसकी जरूरत तब पड़ती है जब दिल ठीक से काम करना बंद कर देता है. ऐसी स्थिति में हृदय प्रत्यारोपण करने की आवश्यकता पड़ती है .यह किसी व्यक्ति के दिल को ठीक से काम न करने की स्थिति में उसके दिल को हटाकर दूसरा स्वस्थ दिल लगाया जाता है. इसके लिए डोनर का होना जरूरी होता है. अगर डोनर या उसका परिवार दिल देने के लिए तैयार हो जाता है तो बीमार व्यक्ति में हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

क्यों बनाया जाता है ग्रीन कॉरिडोर
साथ ही जब ट्रांसप्लांट करने की बात होती है तो कई बार एक शहर से दूसरे शहर तक सही तरीके से दिल को लाना चुनौती भरा काम होता है. ऐसे में डॉक्टर, पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और स्वास्थकर्मियों की टीम वर्क बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. कम समय में अधिक दूरी तय कर दिल को सुरक्षित स्थान पर लाया जाता है. इसीलिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें ट्राफिक को वनवे कर दिया जाता है. यानी ग्रीन कॉरिडोर के रास्ते में सामान्य गाड़ी या किसी व्यक्ति के आने की इजाजत नहीं होती है. ग्रीन कॉरिडोर के बिना दिल को सही सलामत लाना मुमकिन नहीं हो सकता. दिल्ली में रविवार को ऐसा ही चमत्कारिक पल देखा गया, जिसने इंसानियत, मेडिकल साइंस और ट्रैफिक पुलिस की जबरदस्त टीमवर्क को दिखा दिया.

1 जून 2025 को एक जिंदा दिल को सिर्फ 19 मिनट में गाजियाबाद से दिल्ली के ओखला स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल तक पहुंचाया गया. ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 17 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 19 मिनट में तय कर दिल को एनसीआर से दिल्ली पहुंचाया गया और डॉक्टरों की टीम ने हार्ट का सफल ट्रांसप्लांट किया. फिलहाल मरीज की स्थिति स्थिर है और डॉक्टर की निगरानी में हैं. आइए जानते हैं क्या होता हार्ट ट्रांसप्लांट और क्यों है जरूरी.

49 वर्षीय मरीज को मिली नई जिंदगी
49 साल के एक मरीज लंबे समय से इस्कीमिक कार्डियोमायोपैथी नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. यह बीमारी तब होती है जब दिल को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता और दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. मरीज पिछले अगस्त से नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइज़ेशन (NOTTO) में रजिस्टर्ड था और एक उपयुक्त डोनर का इंतज़ार कर रहा था, लेकिन मरीज को सही डोनर नहीं मिल रहा था. ऐसे में एक ब्रेन डेड महिला के परिवार वालों ने दिल देने का फैसला किया.

35 वर्षीय महिला ने दिया नया जीवन
इस जीवन रक्षक दिल की डोनर एक 35 वर्षीय महिला रही, जिन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया था. उन्हें सेरेब्रल ब्लड वेसल रप्चर (दिमाग की नस फटने) की वजह से मौत हुई थी. उनके परिवार ने दिल को दान करने का फैसला लिया, जिससे कई जिंदगियों को नई उम्मीद मिली. यह दिल NOTTO द्वारा फोर्टिस एस्कॉर्ट्स को अलॉट किया गया.

तेजी, टाइमिंग और ट्रैफिक कंट्रोल की मिसाल
दिल को गाजियाबाद के यशोदा हॉस्पिटल से फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड तक पहुंचाया गया. ये दूरी लगभग 17 किलोमीटर थी और टाइमिंग सुबह 11:40 से 11:59 रखी गई थी यानी मात्र 19 मिनट में दिल को सुरक्षित तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना था. इसमें दिल्ली और गाजियाबाद की ट्रैफिक पुलिस ने बेहतरीन तालमेल दिखाते हुए पूरा रास्ता क्लियर कराया, ताकि एक पल भी बर्बाद न हो.

मानवता का अनूठा संगम
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. विक्रम अग्रवाल ने कहा, हम दिल्ली और गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस के आभारी हैं जिन्होंने इस मिशन को समय पर सफल बनाया. साथ ही, हम उस डोनर परिवार को दिल से धन्यवाद देना चाहते हैं जिनकी दरियादिली ने ये मुमकिन किया. ये एक उदाहरण है कि कैसे मेडिकल साइंस और मानवता मिलकर चमत्कार कर सकते हैं.

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