Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में सात नवंबर को बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों पर मतदान होगा। संभाग के 40 हजार स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में से छह हजार स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र अभी भी नक्सल प्रभाव में है। यहां सुरक्षित मतदान कराना प्रशासन के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। इस बार यहां मतदान के लिए 60 हजार जवान तैनात किए गए हैं। संभाग के 35 मतदान केंद्रों में महिला कमांडो की निगरानी में चुनाव होंगे। भयमुक्त मतदान के लिए सभी सात जिलों में पग-पग पर जवान तैनात है। सबसे अधिक नक्सल प्रभावित बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर के अंदरुनी इलाकों में 100-100 मीटर पर फोर्स नजर आ रही है। इस ग्राउंड रिपोर्ट से समझें बस्तर की स्थिति…।
बस्तर जिले में तीन विधानसभा सीटें है, जगदलपुर, बस्तर और चित्रकोट। चित्रकोट विधानसभा में तीन विकासखंड लोहंडीगुड़ा, बास्तानार और तोकापाल आते हैं। नईदुनिया की टीम लोहंडीगुड़ा के उन क्षेत्रों में पहुंची जो कुछ वर्ष पहले तक नक्सल प्रभाव में था। बिन्ता घाटी से नीचे उतरने पर हमें लगभग 500-500 मीटर पर सुरक्षा बल के जवान दिखे। सड़क किनारे 200-200 मीटर की दूरी पर पेड़ों के नीचे दो से तीन की संख्या में जवान नजर आए। हमें यह सब देखकर थोड़ा अजीब-सा लगा। इस तरह का दृश्य आपको मध्य प्रदेश या अन्य किसी राज्यों के चुनाव में देखने को नहीं मिलेगा। पुलिस या सेना के जवान मतदान केंद्र तक ही सीमित रहते हैं।
आंखों के सामने यहां जवान हो गया था बलिदान
चित्रकोट विधानसभा में 2008 के चुनाव में बिन्ता घाटी के क्षेत्र के दो केंद्रों में नक्सलियों ने ईवीएम लूट ली थी। यहां पुर्नमतदान कराना पड़ा था। अमलीधार के मतदान दल में शामिल एक कर्मचारी ने बताया कि लौटते समय बिन्ता घाटी के नीचे विस्फोट में उनकी आंखों के सामने एक जवान बलिदान हो गया था। हमने मौत को करीब से देखा। 150 जवान हमारे साथ थे। पहाड़ी के ऊपर से नक्सली गोलियां चला रहे थे। नीचे से जवान जवाबी कार्रवाई कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि उस चुनाव में कुल 65 किलोमीटर पैदल चलकर हमने मतदान कराया था। इंद्रावती नदी के किनारे बसे सतसपुर, बिन्ता और भेजा में मतदान को लेकर उत्साह नजर आया। चित्रकोट जलप्रपात से बारसूर रोड पर दोपहर तीन बजे मटनार गांव में सशस्त्र सीमा बल के जवान पैदल गश्त करते मिले। लौटते हुए भी देर शाम तक हमें जगह-जगह जवान नजर आए।
सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर में ज्यादा सुरक्षा
जिले के जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के नानगूर क्षेत्र में सुरक्षा बलों का कैंप है। इस क्षेत्र में गांवों में भी जवानों का पैदल मार्च देखा। ये दृश्य संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 80 किलोमीटर के आसपास के थे। अब आप सबसे अधिक नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर की स्थिति की कल्पना कीजिए। इन दिनों में मुख्य मार्ग से दोनों ओर पांच से सात किलोमीटर अंदर से ही नक्सल क्षेत्र शुरू हो जाता है।
सुकमा में दोरनापाल- जगरगुंडा मार्ग, दंतेवाड़ा में अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग, नारायणपुर में ओरछा मार्ग अति संवेदनशील है। संभाग में केवल बस्तर विधानसभा को छोड़कर अन्य सभी सीटों में कुछ जगह आंशिक तो कुछ में दो तिहाई तक का क्षेत्र नक्सल प्रभावित है। भयमुक्त मतदान के लिए पूरे संभाग में डीआरजी, एसटीएफ, बस्तर फाइटर्स, कोबरा जैसे स्पेशल फोर्स तैनात की गई है। सीआरपीएफ और आइटीबीपी के जवान मोर्चा संभाल रहे है।
जवानों के सुरक्षा के घेरे में
– 60 हजार से अधिक अर्धसैनिक बल।
– 2943 मतदान केंद्र बस्तर में।
– 1254 केंद्र नक्सल संवेदनशील।
– 126 केंद्रों में पहली बार मतदान।
[metaslider id="347522"]