बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट देता है बच्चों को नए आविष्कार की प्रेरणा – डॉ. संजय गुप्ता


कोरबा, 4 नवम्बर । बच्चों के सर्वांगीण विकास का होना समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है।इसलिए बच्चों के समाजिक;संज्ञानात्मक;भावनात्मक;और शैक्षिक विकास के साथ-साथ उनके क्रियात्मक विकास को भी जानना और समझना आवश्यक है। इस क्षेत्र में बढ़ते शोध और रुचि के परिणामस्वरुप नए सिद्धाँतों और रणनीतियों का निर्माण हुआ है और इसके साथ ही साथ स्कूली व्यवस्था के अंदर बच्चे के विकास को बढ़ावा देने वाले अभ्यास को विशेष महत्व दिया जाने लगा है। आजकल स्कूलों में रचनात्मक शिक्षण की रणनीति को अपनाया जाता है।जिसमे विद्यार्थी के पूर्वज्ञान आस्थाओं और कौशल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके माध्यम से विद्यार्थी में नई समझ विकसित होती है।


इसी परिपाटी का अनुपालन करते हुए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में सभी स्तर के बच्चों के क्रियात्मकता एवं रचनात्मकता के विकास के उद्देश्य से विविध प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं।प्री प्रायमरी स्तर पर क्ले मॉडलिंग की प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसका उद्देश्य बच्चों में विविध रंगों के क्ले के समायोजन से विविध आकृतियाँ बनाना जिससे उनमें रंगों के समायोजन का गुण एवं आकृतियों के निर्माण की शैली का विकास हो।


इस प्रतियोगिता में नर्सरी से वैभवी सिंह, अनिशपाल, वर्णिका कंवर, अवनि चौरसिया, युग पालीवाल, सर्विका मिश्रा, नायरा, केतन, परिधि सिंह, काव्य जायसवाल ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। एल0के0जी0 से अथर्व विश्वकर्मा,जोया महंत, इशानी महन्ता, वेदान्शी साहू, सृध्दि, तेजस साहू, आश्रिया देवांगन, सान्वी राजभोर, कियांश अजय, आरव सिंह का प्रदर्शन लाजवाब रहा। क्लास यूकेजी से सृष्टि वर्मा, आयांश कंवर, सारांश सतपथी, प्रज्ञान, परिमिता, कीर्ति सिंह, मानवी, आयांश श्रीवास्तव, अवंतिका बंजारे एवं वैदेही रघुवंशी ने शानदार प्रदर्शन किया।


बच्चों ने रचनात्मकता का विकास करने के उद्देश्य से बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट प्रतियोगिता आयोजित की गई।प्रतियोगिता के लिए बच्चों को निर्देशित किया गया कि हमारे आस-पास हमारे घरों में बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिनका हम प्रयोग नहीं करते जिन्हें वेस्ट कहा जाता है इन पदार्थों को प्रयोग में लाकर हम ऐसी चीजें बना सकते हैं जो हमारे लिए अनेक प्रकार से उपयोगी होती हैं। जैसे पेन स्टेंड, झूमर, फोटो फ्रेम, टेबल स्टेंड इत्यादि। जिन्हें हम अपने घरों में सजावट के रुप में भी उपयोग के अलावा अन्य उपयोग में भी ला सकते हैं। इस प्रतियोगिता को आयोजित करने में श्रीमती स्वाति सिंह, श्रीमती मधु मैम, श्रीमती मौसमी महंता, श्रीमती रुमकी मैडम, श्रीमती अल्का वैष्णव, अनम अंसारी सहित प्री-प्रायमरी के सभी स्टाफ का विशेष सहयोग रहा।


प्रतियोगिता के सभी सफल बच्चों को एक विशेष आयोजन में प्राचार्य द्वारा प्रोत्साहन हेतु पुरस्कार एवं सम्मान स्वरुप प्रमाण पत्र दिया जाएगा। अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि हमारे चहुँओर अनेक पदार्थ बेकार एवं अपशिष्ट के रुप में फैले होते हैं। इन पदार्थों को पुनः उपयोग में लाने के गुणों को सीखकर हम अपने आस-पास की स्वच्छता को भी बढ़ाते हैं तथा बच्चा में नई-नई चीजों के आविष्कार की प्रेरणा को भी जन्म देते हैं।

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