शारदा महिला रामायण समिति का 25 वार्षिक अखंड रामायण पाठ हुआ संपन्न

कोरबा, 31 अक्टूबर। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राघवेन्द्र सरकार राम लला की असीम अनुकम्पा से शरद पूर्णिमा के पावन पर्व मिलन पर प्रतिवर्ष की भांति ” शारदा महिला रामायण समिति ” के तत्वाधान में श्रीमती रोहिणी पांडेय के नेतृत्व में श्री राम चरितमानस अखण्ड पाठ का 25 वर्षीय आयोजन श्रीमती रेखा शर्मा (श्री रामकिशोर शर्मा) के सौजन्य से ” श्री गौरी शंकर मंदिर सेक्टर -3 बालको “में किया गया।

श्रीराम चरित मानस गायन/वाचन में कथा वाचकों ने राम चरित्र मानस के सातों कांड का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि राम चरित्र मानस मानव का सदैव मार्गदर्शन करते हैं ,प्रथम कांड बालकांड हमें बताता है कि मानव को सदैव बालक बना रहना चाहिए। बालक बने रहेंगे तो निष्पाप रहेंगे। उसके अंदर किसी प्रकार का दोष नहीं होता क्योंकि वह बालक है। राम चरित्र मानस के सभी कांड मानव को सदैव सीख देते हैं। दूसरे कांड अयोध्या के बारे में बताया गया कि अपने शरीर को अयोध्या जैसा बनाएं इसमें कहीं कोई पापी नहीं रहता था। जब हमारा शरीर अयोध्या बन जाएगा तो निश्चित रूप से वहां प्रभु श्री राम निवास करेंगे। तीसरा अरण्यकांड है जो जंगल है जो बताता है कि व्यक्ति को जीवन भर बासना रहित रहना चाहिए। व्यक्ति के जीवन में जब बासना नहीं रहती है तो उसके हृदय में भगवान का बसेरा हो जाता है। चौथा कांड किष्किंधा कांड है जिसमें प्रभु श्री राम और सुग्रीव की मित्रता के बारे में बताया गया है जीवन में मित्र होना जरूरी है परंतु वह राम और सुग्रीव जैसे ही होना चाहिए किष्किंधा कांड हमें अच्छे मित्रों से परिचय कराता है। पांचवे कांड सुंदरकांड है जिसमें हनुमान जी की कथा है जो की हमें भक्ति करना सिखाते हैं, मानव के जीवन में जब भक्ति होगी तो निश्चित रूप से उसे भगवान के दर्शन होंगे। छठवां लंका कांड है जो मानव को युद्ध करना सिखाता है मानव को जीवन में काम क्रोध मोह अहंकार लोभ और मद से युद्ध करना चाहिए लंका काण्ड में यही सिखाता है। जबकि सातवां उत्तरकांड मानव को त्याग का संदेश देते हुए हमें जीवन के सार को बताता है।


इस प्रकार से राम चरित गायन/कथा समापन पश्चात हवन आरंभ करने के पूर्व पंडित चंद्रशेखर जोशी जी ने चारों ओर रामरक्षास्रोत बोलते हुए एक रेखा खींचा ताकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां पूजा तथा संकल्प को खंडित नहीं कर पाए । हवन आरंभ करने के पूर्व इष्टदेव , गुरुदेव तथा पितृगणों तथा बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेकर हवन गौरीशंकर मंदिर बालको में हनुमानजी के समक्ष पूर्णाहुति पूर्ण हुआ।