UPSC success story: यूपीएससी की परीक्षा की फाइनल लिस्ट में पहला नाम हासिल करना इतना आसान नहीं होता है,लेकिन कुछ होनहार उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो यूपीएससी में पहला स्थान हासिल करते हैं।नंदिनी केआर ने जिन्होंने चौथे प्रयास में यूपीएससी 2016 की परीक्षा में रैंक 1 हासिल की। आइए जानते हैं उनके बारे में।
IAS अधिकारी बनने से पहले नंदिनी केआर भारतीय राजस्व सेवा परिवीक्षाधीन अधिकारी के पद पर कार्यरत थी। उनका सपना हमेशा से ही IAS अधिकारी बनने का था। जिसके लिए उन्होंने 4 बार यूपीएससी परीक्षा का फॉर्म भरा था।
नंदिनी कर्नाटक के कोलार जिले के केम्बोडी गांव की मूल निवासी हैं। उनके पिता सरकारी हाई स्कूल में असिस्टेंट स्कूल मास्टर के रूप में काम करते हैं। वहीं उनकी मां भी एक टीचर थीं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। माता- पिता दोनों ही शिक्षा के क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में नंदिन की घर पर शिक्षा को काफी गंभीरता से लिया जाता था। वह शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी थी। नंदिनी ने बेंगलुरु के एमएस रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री थी और गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलार के थिमैया विद्यालय से कन्नड़ माध्यम में की थी।
नंदिनी ने अपना पहला प्रयास 2013 में दिया था। हालांकि वह प्रीलिम्स परीक्षा पास नहीं कर पाई थी। वह जानती थी उनकी यूपीएससी की तैयारी मजबूत नहीं है, इसी के साथ उनके पास सही गाइडेंस नहीं थी। पहली बार यूपीएससी में असफल होने के बाद वह निराश नहीं हुईं और निर्णय लिया कि दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होंगी।
साल 2014 में दूसरे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा प्रयास की तैयारी के दौरान, नंदिनी ने कर्नाटक लोक निर्माण विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। इस बार, उन्होंने एनसीईआरटी और समाचार पेपर पढ़कर यूपीएससी की बेसिक तैयारी शुरू की थी। बता दें, उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट कन्नड़ लिटरेचर था। इस बार उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा को क्लियर किया। वहीं उनका इंटरव्यू भी क्लियर हो गया था, लेकिन उनके अंक IAS पद हासिल करने के लिए पर्याप्त अच्छे नहीं थे। उनका चयन IRS (कस्टम एंड एक्साइज) के लिए हो गया था।
नंदिनी अपनी रैंक को और अच्छा करना चाहती थी, ताकि IAS का पद हासिल कर सके। इसके लिए उन्होंने तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वह प्रीलिम्स परीक्षा के बाद मेंस परीक्षा के लिए सिलेक्ट हो गई थी, लेकिन मेंस परीक्षा में शामिल नहीं हो पाई। जिस दिन मेंस की परीक्षा की थी, उस दिन वह डेंगू से पीड़ित हो गईं और उन्हें यूपीएससी की मेंस परीक्षा छोड़नी पड़ी। नंदिनी को लग रहा था, जैसे सारे सपने टूट गए हों, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और चौथी बार यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया।
यूपीएससी के चौथे प्रयास के लिए नंदिनी ने एक टाइम टेबल बनाया, जिसमें 8 घंटे की नींद और एक घंटे के लिए खेलने का समय शामिल था। उन्होंने खूब मेहनत की और यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं। इस बार जब उन्होंने रिजल्ट देखा तो यकीन नहीं हुआ। यूपीएससी 2016 की फाइनल लिस्ट में सबसे ऊपर उनका नाम शामिल था। इस बार उनकी रैंक 1 आई थी।
उन्होंने 55.3% मार्क्स हासिल किए गए थे। बता दें, यूपीएससी परीक्षा कुल 2,025 के लिए आयोजित की जाती है, जिसमें से नंदिनी ने मेंस परीक्षा में 927 और इंटरव्यू में 193 यानी कुल मार्क्स 1,120 हासिल किए थे।
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