Vedant Samachar

गोल्ड लोन पर बढ़ेगी RBI की सख्ती, आम आदमी के फायदे के लिए सरकार ने दी ये नसीहतें…

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मुंबई ,30 मई 2025: भारत में सोने को ऐसा निवेश माना जाता है, जो मुश्किल वक्त में सबसे बेहतर पूंजी साबित होता है. शायद इसी धारणा की वजह से देश में पुराने वक्त से ‘गोल्ड लोन’ जैसी सुविधा मौजूद है. ‘मदर इंडिया’ फिल्म का ‘बिरजू’ तो आपको याद होगा ही, जो सुक्खी लाला से अपनी मां के ‘गिरवी’ कंगन छुड़वाता है, क्योंकि उसकी मां ने उन कंगन के बदले लाला से लोन लिया था. पहले गांव-देहात से लेकर मोहल्ले तक में धनाढ्य या महाजन लोग जरूरतमंदों का सोना गिरवी रखकर उन्हें कैश देते थे. तब अक्सर ये सोना हड़प लिया जाता था. बाद में लोगों को इससे बचाने के लिए गोल्ड लोन का काम बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) ने शुरू कर दिया. अब बैंकों और एनबीएफसी की इसी गोल्ड लोन फैसिलिटी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) यूनिफॉर्म रूल्स के दायरे में लाना चाहता है. जबकि सरकार ने आम आदमी की भलाई को ध्यान में रखकर आरबीआई को कई सुझाव दिए हैं. चलिए जानते हैं कि ये सब आप पर कैसे असर डालेगा?

भारतीय रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन के लिए यूनिफॉर्म रूल्स का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसे वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) ने रिव्यू किया. इसके बाद आरबीआई को नए नियम लागू करने से पहले कई बातों को ध्यान में रखने के लिए कहा गया है.

वित्त मंत्रालय ने दिए ये सुझाव
आम लोगों की गोल्ड लोन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से कहा गया है कि नए नियम लागू करते समय ये ध्यान रखा जाए कि छोटी रकम के लिए लोन लेने वालों पर इसका बुरा असर ना पड़े.

इतना ही नहीं, अगर हो सके तो आरबीआई को 2 लाख रुपये तक के लिए गोल्ड लोन लेने वाले लोगों को इन सख्त नियमों के दायरे से बाहर रखना चाहिए. ताकि छोटे कर्जदारों को समय से तेजी से गोल्ड लोन मिल सके.

गोल्ड लोन के इन नियमों को ठीक से लागू करने में समय की जरूरत होगी. इसलिए इसकी तैयारियों को पूरा करते हुए इसे 1 जनवरी 2026 से पहले लागू नहीं किया जाना चाहिए.

भारतीय रिजर्व बैंक इन सुझावों की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही इसे लेकर फैसला कर सकता है. वहीं सरकार ने उम्मीद जताई है कि उसके सुझावों पर आरबीआई इस मामले से जुड़े तमाम स्टेक होल्डर्स से सलाह-मशविरा करेगा. साथ ही आम लोगों के सुझाव भी हासिल करेगा.

क्या हैं RBI के नए गोल्ड लोन रूल्स?
देश में अभी बैंक और एनबीएफसी अपने-अपने नियमों के हिसाब से गोल्ड लोन बांटते हैं. आरबीआई फाइनेंशियल सिस्टम में गोल्ड लोन को लेकर यूनिफॉर्मिट और पारदर्शिता लाना चाहता है, जिसे लेकर उसने नए रूल्स ड्राफ्ट किए हैं, ये इस प्रकार हैं…

आरबीआई चाहता है कि लोगों को ‘गिरवी’ रखे गए सोने की टोटल वैल्यू के 75 प्रतिशत के बराबर ही लोन दिया जाए. इसका मतलब है कि अगर आपके सोने की वैल्यू 100 रुपये है, तो आपको 75 रुपये का ही लोन मिलेगा.


गोल्ड लोन लेने वालों को इस बात का सबूत देना होगा कि जो सोना वह गिरवी रख रहे हैं, उस पर मालिकाना हक उनका ही है. इसके लिए वह ओरिजिनल बिल या एफिडेविट देंगे.


बैंक या एनबीएफसी की जिम्मेदारी होगी कि वह गोल्ड लोन के लिए गिरवी रखे जाने वाले सोने की प्योरिटी का सर्टिफिकेट जारी करेंगे. वहीं अगर ज्वैलरी में मिक्स धातु है, रत्न या हीरा या कीमती पत्थर जड़े हैं, या उसका कैरेट कितना है. इन सबकी जानकारी अलग-अलग उस सर्टिफिकेट में देनी होगी.


कौने से सोने के आभूषण या आइटम, गोल्ड कॉइन या बार गिरवी रखकर लोन लेने लायक होंगे. इनके भी फिक्स नियम बनाए जाएंगे. वहीं टोटल लोन में गोल्ड कॉइन की हिस्सेदारी एक तय सीमा तक ही होगी.


आरबीआई के नियम के मुताबिक गोल्ड लोन के लिए गिरवी रखा जाने वाला सोना 22 कैरेट या उससे अधिक का होगा . इसकी वैल्यू को 22 कैरेट के हिसाब से तय किया जाएगा. अगर 18 कैरेट के सोने को गिरवी रखा जाता है, तो भी उसकी वैल्यू का हिसाब 22 कैरेट के हिसाब से लगाया जाएगा.


नए नियमों में चांदी के जेवर और सिक्कों को गिरवी रखकर भी लोन लिया जा सकेगा. इसके लिए भी आरबीआई मानक तय करेगा, ये 925 शुद्धता वाली चांदी के लिए मान्य हो सकता है.


इसके अलावा गोल्ड लोन के लिए ग्राहक के साथ जो कॉन्ट्रैक्ट साइन होगा, उस पर हर नियम की कंप्लीट जानकारी होगी. वहीं लोन पूरा होने के बाद गिरवी रखा गया सोना एक तय समयसीमा में ग्राहक को वापस किया जाएगा.

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