कोरबा, 26 अक्टूबर। मड़वारानी मंदिर में पंचमी से शुरू नवरात्र पर्व जारी है। बुधवार को सप्तमी पर्व पर मंदिर में श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ रही। इस अवसर पर मंदिर प्रबंधन की ओर से रात्रि को देवी माता को पान परवाना का चढ़ावा किया गया। खोर भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। गुरूवार को महाष्टमी पर्व पर देवी माता को हल्दी का तिलक लगाकर पूजा की जाएगी। यज्ञ अनुष्ठान के साथ महागौरी स्वरूप देवी का आह्वान किया गया जाएगा।
मड़वारानी मंदिर में नवरात्र पर्व की धूम मची है। प्रति वर्ष यहां त्रयोदशी को नवरात्र की पूर्णाहूति होती है। बुधवार को सप्तमी पर्व धूमधाम से मनाया गया है। मान्यता के अनुसार सप्तमी का मड़वारानी मंदिर में विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर देवी मंदिर में खीर भोग के साथ पान परवाना का चढ़ावा किया गया। भोग प्रसाद ग्रहण करने के लिए खासी तादात में भक्तों की भीड़ रही है। पान परवाना खीर प्रसाद ग्रहण करने देवी माता भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। खासकर नि:संतान दंपत्ति माता से गोद भरने की आशीर्वाद लेने आते हैं। सप्तमी पर दीप ज्योति की पूजा की गई।
श्रद्धालुओं की माने तो दीपदर्शन से ही रात जागरण का महत्व है। गुरूवार को महाष्टमी पर देवी माता के मस्तक पर हल्दी का तिलक लगाकर पूजा की जाएगी। माना जाता है कि देवी को हल्दी का तिलक लगाने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। अष्टमी पर्व पर देवी की अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा की जाएगी। ज्योति कलश व जवारा ज्योति का दर्शन करने खासी तादात में भक्तजन मंदिर पहुंच रहे हैं। सप्तमी पर्व होने से बुधवार को मंदिर परिसर में खासी भीड़ रही।
भक्तों ने कतारबद्ध होकर देवी दर्शन का पुण्य लाभ लिया। महाष्टमी पर भी दर्शनार्थियों की भीड़ रहेगी। मंदिर में जस गीतों की गूंज से वातावरण देवीमय हो गया है। आसपास के गांव के अलावा दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से जसगीत गायन की टोलियां मंदिर पहुंच रही है। सेवा गीत गायन दल में महिला श्रद्धालुओं की टीम भी शामिल है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए भोग भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। अन्य देवी मंदिर में नवरात्र समापन के बाद भक्तजन अब मड़वारानी में मनोकामना दीप दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं।
पंचमी में कलमी पेड़ के नीचे दिखा था जवारा
मड़वारानी मंदिर में पंचमी तिथि से पूजा शुरू होने के पीछे जनश्रुति है कि यहां कलमी पेड़ के विराजमान देवी के स्थल में स्वमेव ही जवारा उग आया था। स्थानीय श्रद्धालुओं का मानना है पूजा अनुष्ठान का क्रम लभगभ डेढ़ सौ साल से जारी है। जवारा कलश के साथ मनोकामना दीप प्रज्जवलित करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना देवी पूरा करती हैं। भले क्वांर नवरात्र में यहां पंचमी से पूजा होती है लेकिन चैत्र नवरात्र के दौरान पहले दिन से ही पूजा की जाती है।
मंदिर द्वार पर लगेगा नया तोरण
मंदिर द्वार में महाष्टमी के अवसर पर नया तोरण लगाने का विधान है। पुराने तोरण को उतार कर विसर्जित किया जाएगा। तोरण को देवी की शक्ति मानी जाती है। जिससे आसुरी बाधाएं मंदिर के चारों ओर प्रवेश नहीं कर सकती। आम्रपत्र से बने तोरण को मंत्रोच्चार से बैगा के माध्यम से लगाया जाएगा।
वाहन ले जाने पर रोक
देवी मंदिर में प्रतिदिन लग रही भक्तों की भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था दुरूस्त की गई है। मंदिर में वाहन लेकर ऊपर जाने पर रोक लगा दी गई है। विगत वर्ष तक समिति सदस्यों को ही वाहन ले जाने की अनुमति होती थी। जारी पर्व में सदस्यों पर भी वाहन ले जाने के लिए रोक लगा दी गई है।
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