दुर्गा अष्टमी 22 को : जानें तिथि, कन्या पूजन मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और मंत्र…

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्तूबर, रविवार को है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की जाती है। वैसे तो नवरात्रि की हर एक तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन अष्टमी तिथि विशेष मानी जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी का त्योहार बहुत जोर शोर से मनाया जाता है।  ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा अष्टमी तिथि पर ही असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुई थीं। इसके अलावा इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी की तिथि,महत्व, शुभ मुहूर्त, पारण समय, पूजा विधि, मंत्र सभी के बारे में।

शारदीय नवरात्रि आठवां दिन, जानें मां महागौरी की पूजा का महत्व, पूजन विधि, मंत्र और भोग

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का महत्व, जानिए पूजा विधि और नियम

महा अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि आरंभ: 21 अक्तूबर रात्रि  9:53 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 अक्तूबर सायं 7:58 बजे
उदया तिथि के अनुसार 22 अक्तूबर को  दुर्गाअष्टमी मनाई जाएगी
ब्रह्म मुहूर्त: 22 अक्तूबर , प्रातः 4:45 बजे से 5:35 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रातः 6:26 बजे से सायं 6:44 बजे तक है
कन्या पूजन के समय: 22 अक्तूबर, प्रातः 6:26 बजे से कन्या पूजन कर सकते हैं।

अष्टमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त
22 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 06 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में आप 22 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 26 मिनट से कन्या पूजन कर सकते हैं।

महाष्टमी व्रत का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महाष्टमी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गाकी महागौरी के रुप में पूजा होती है। इस दिन देवी के अस्त्रों के रुप में पूजा होती है इसलिए इसे कुछ लोग वीर अष्टमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके सभी दुखों को दूर करती हैं।

ऐसे करें महागौरी की पूजा
महाअष्टमी पर घी का दीपक लगाकर देवी महागौरी का आह्वान करें।
अब मां को रोली, मौली, अक्षत, मोगरा पुष्प अर्पित करें।

इससे मां महागौरी प्रसन्न होती हैं। नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
अंत में मां महागौरी की आरती करें।

ऐसे करें कन्या पूजन
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करनी चाहिए।
इसके लिए सुबह स्नानादि करके भगवान गणेश व महागौरी की पूजा अर्चना करें।
फिर 9 कुंवारी कन्याओं को घर में सादर आमंत्रित करें।
उन्हें सम्मानपूर्वक आसन पर बिठाएं।
फिर शुद्ध जल से उनके चरणों को धोएं, अब तिलक लगाएं।
रक्षासूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प भेंट करें।
अब नयी थाली में उन्हें पूरी, हलवा, चना आदि का भोग लगाएं।
भोजन के बाद कुंवारी कन्याओं को मिष्ठान व अपनी क्षमता अनुसार द्रव्य, कपड़े समेत अन्य चीजें दान करें।
अंतिम में उनकी आरती करें व चरण स्पर्शकर आशीर्वाद लें ।

संख्या अनुसार कन्या पूजा का फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 कन्या पूजा से भोग, 3 कन्या पूजा से पुरुषार्थ, 4-5 कन्या पूजा से बुद्धि और विद्या, 6 कन्या पूजा से कार्य में सफलता, 7 कन्या पूजा से परमपद, 8 कन्या पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से सभी ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

आयु के अनुसार कन्या पूजा का फल
2 वर्ष की कन्या पूजा से धन-ऐश्वर्य, 3 वर्ष की कन्या पूजा से धन-धान्य, 4 वर्ष की कन्या पूजा से परिवार का कल्याण, 5 वर्ष की कन्या पूजा से रोगों से मुक्ति, 6 वर्ष की कन्या पूजा से राजयोग, विद्या और विजय, 7 वर्ष की कन्या पूजा से ऐश्वर्य, 8 वर्ष की कन्या पूजा से कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता, 9 वर्ष की कन्या पूजा से शत्रुओं पर सफलता और 10 वर्ष की कन्या पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

महागौरी मंत्र
श्वेतेवृषेसमारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि: महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो
या देवी सर्वभूतेषुमाँगौरी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नम:
ॐ महागौरिये: नम:

महागौरी की आरती
महागौरी की आरती, जय महागौरी जगत की माया ।
जया उमा भवानी जय महामाया। हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।। चंद्रकली ओर ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।। भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।। हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गाहैस्वरूप तेरा ।। सती ‘सत’ हवन कुंड मेंथा जलाया ।

उसी धुएं नेरूप काली बनाया ।। बना धर्मसिंह जो सवारी मेंआया ।
तो शंकर नेत्रिशूल अपना दिखाया ।। तभी मां नेमहागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवालेका संकट मिटाया ।। शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।। भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहेहो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।