महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों का कारनामा, आचार संहिता लगने के दो दिन बाद पर्यवेक्षकों को सौंपे कार्यभार

कोरबा,14 अक्टूबर I महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों का बड़ा कारनामा सामने आया है। पहले तो विधानसभा की तिथि के घोषणा के दिन ही पर्यवेक्षकों की तबादला सूची जारी हुई, इसके ठीक 2 दिन बाद परियोजना अधिकारियों ने दो सेक्टर सुपरवाइजर को कार्यभार सौंप दिया । जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन किस तरह किया जा रहा है।

भारत निर्वाचन आयोग ने 9 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गया । ठीक इसी दिन महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय ने नौ पर्यवेक्षकों की तबादला सूची जारी की। इस सूची में कोरबा जिले के भी दो पर्यवेक्षकों का नाम शामिल था। जहां कोरबा ग्रामीण परियोजना में पदस्थ पर्यवेक्षक उषा सिंह चौहान को चोटिया स्थानांतरित किया गया, वही गायत्री देवी का तबादला कोरबा ग्रामीण परियोजना में किया गया ।

नियमानुसार आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी अधिकारी कर्मचारी के तबादले, भारमुक्त और पदभार ग्रहण करने पर रोक लग जाती है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने भी 11 अक्टूबर को दिशा निर्देश जारी किया है, ताकि नियम कायदों से अधिकारी कर्मचारियों को अवगत कराई जा सके। उनसे जाने अंजाने में कोई चूक न हो। निर्वाचन आयोग से जारी निर्देश में स्पष्ट तौर से उल्लेख है की आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू है। ऐसी किसी भी आदेश को यथास्थिति रखा जाए। यह निर्देश जारी करने का उद्देश्य अधिकारी कर्मचारियों को नियमो से अवगत कराना है,

ताकि उनसे जाने अंजाने में नियमो का उल्लंघन न हो। वे आदर्श आचार संहिता का पालन कर सकें, लेकिन जो बातें छन कर आई है उसके मुताबिक  महिला एवं बाल विकास विभाग के कोरबा ग्रामीण तथा चोटिया के परियोजना अधिकारी ममता तुली और मंजू सिंह ने वह कारनामा कर दिखाया , जिससे विभाग में आचार संहिता के नियमों का पालन किस तरह किया जा रहा, इसका आंकलन किया जा सकता है। कोरबा और चोटिया दोनों ही परियोजना में तबादला सूची जारी होने के 2 दिन बाद यानी 11 अक्टूबर को पर्यवेक्षकों को पूरा कार्यभार ही सौंप दिया। खास तो यह है कि मामला उजागर होते देख अधिकारियों में हड़कंप मच गया। वे लीपापोती के प्रयास में जुट गए हैं।

जिला मुख्यालय को नही दी सूचना

इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बातें सामने आई है। नियमानुसार कनिष्ठ कार्यालय में अधिकारी कर्मचारी अपनी आमद देते हैं। जिसकी रिपोर्ट जिला मुख्यालय को दिया जाता है । इसके विपरीत परियोजना अधिकारियों ने पर्यवेक्षकों को कार्यभार तो सौंप दिया, लेकिन दो दिन बीत जाने के बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय को देना मुनासिब नहीं समझा।

भारमुक्त किए जाने को लेकर भी चर्चा

महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय ने पर्यवेक्षकों की तबादला सूची जारी कर दी। इसके साथ ही प्रभावित अधिकारियों को मंत्रालय से ही भारमुक्त कर दिया गया। यह बात लोगो में चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि यह सब आदर्श आचार संहिता की संभावित तिथि को देखते हुए किया था। सामान्य तौर से ऐसा नही होता।

मामले में जानकारी ली जाएगी

मामले को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रीति खोखर चखियार से चर्चा की गई। उन्होंने पर्यवेक्षकों को कार्यभार दिए जाने की बात से अनभिज्ञता जाहिर की। उनका कहना है कि मामले में जानकारी ली जाएगी।

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