कोरबा, 13 अक्टूबर। भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा को निर्वाचन आयोग से अभयदान मिला हुआ है। जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक तरफ जहां आयोग 3 साल से अधिक समयावधि से एक ही पदस्थापना स्थल पर सेवाएं दे रहे अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण कर रहा वहीं शिक्षा विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में आँकाक्षी जिला कोरबा में 10 सालों से बीईओ ,एपीओ,एपीसी के पद पर सेवाएं दे रहे अफसर आयोग को नजर नहीं आते।
जिससे न केवल आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे वरन शासन की कार्यशैली पर भी उंगली उठ रहे,मेहरबान शिक्षा विभाग ने अफसरों का संभाग के भीतर ही अन्यत्र जिलों में स्थानांतरण करने की हिम्मत नहीं दिखाई।
बात करें ऐसे अफसरों की तो करीब आधा दर्जन अधिकारी अकांक्षी जिला कोरबा में 10 साल से सेवाएं दे रहें हैं। इनमें विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ)कोरबा संजय अग्रवाल,विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) करतला संदीप पाण्डे 10 साल से सेवाएं दे रहे। हां इस बीच विभाग ने तबादले की औपचारिकता निभाने सरकार व जनमानस की आंखों में धूल झोंकने दोनों अधिकारियों का 4 साल पूर्व आपसी समन्वय में कोरबा से करतला जरुर किया। लेकिन वे करीब साल भर के भीतर पुनः अपने प्रभाव की बदौलत पदस्थापना स्थल पर लौट आए। हालांकि ये जरूर है कि अपने कुशल नेतृत्व की वजह से दोनों अधकारियों खासकर करतला बीईओ की शिकायतें नहीं के बराबर रही। अब बात करें जिला कार्यालय की तो यहाँ एक एपीओ सहित 3 एपीसी करीब 10 साल से सेवाएं दे रहे। एपीओ में एच आर मिरेन्द्र तो एपीसी समग्र शिक्षा में विजय कौशिक ,एच बंजारे एवं श्रीमती शशिप्रभा सोनपुरे शामिल हैं। इनमें सर्वाधिक चर्चे में एपीसी समग्र शिक्षा विजय कौशिक रहे हैं,जो पिछले 7 साल से निर्माण एवं अनुकम्पा जैसे महत्वपूर्ण शाखा के कार्यदायित्व का निर्वहन कर रहे ।विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कुछ शिक्षकों के साथ ये बड़े पैमाने पर सांठगांठ कर ठेकेदारी भी कर रह रहे। शिकायत ,न्यायालयीन प्रकरण परीक्षा शाखा देख रहे एपीओ एच आर मिरेन्द्र की कार्यशैली भी चर्चित रही। वो अलग बात है कि इन अधिकारियों के विरुद्ध आज तक भयवश शिक्षक लिखित शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। बाकी दोनों एपीसी का कार्यकाल निर्विवाद रहा है। कार्यालय में स्थापना का शाखा देख रहे लिपिक श्री चौकसे तो वर्तमान में इन सबसे आगे निकल चुके हैं। सहायक शिक्षक से प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के पद पर हुई पदांकन (पदस्थापना )प्रक्रिया सहित अन्य भर्ती प्रक्रिया में इनकी कार्यशैली चर्चित रही। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट शासकीय अंग्रेजी -हिन्दी माध्यम की भर्ती प्रक्रिया देख रहे एपीसी समग्र शिक्षा काजी आर हुसैन की भी कार्यशैली एवं भूमिका संदेहास्पद है। डीएमएफ के महत्वपूर्ण कार्य भी यही देख रहे। उच्च अधिकारी के आदेशों के बाद भी जानकारी छुपा रहे। इन सबके ऊपर जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यशैली भी सवाल उठे हैं। अपात्र की पात्र आवेदिका की जगह नियम विरुद्घ तरीके से पदस्थापना मामले में आवेदिका ने सीधे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। लेकिन सेवानिवृत्ति को महज 6 माह बचे होने की वजह से डीईओ किसी भी जांच, कार्रवाई से बेफ्रिक हैं।
माजरा साफ है मलाईदार कोरबा जिले से अपने प्रभाव की बदौलत अधिकारी जाना नहीं चाहते,निश्चित तौर पर ऐसे अधिकारियों की आयोग को तत्काल सुध लेकर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहिए। ताकि निर्वाचन आयोग की निष्पक्ष कार्यशैली पर जनता सवाल न उठाए।
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