बिलासपुर, 5 अक्टूबर। आबकारी विभाग के प्रधान आरक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को तृतीय समयमान वेतनमान देने का निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लंबित अभ्यावेदन पर तय समय सीमा में निराकरण करने का निर्देश बलौदाबाजार जिले के आबकारी अधिकारी को दिया है।
प्रधान आरक्षक केश्वरदास ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि वर्ष 1985 में आबकारी आरक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी और सेवाकाल के दौरान वर्ष 2020 में उनका प्रधान आरक्षक के पद पर प्रमोशन हुआ। 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने के पश्चात् 30 जून 2021 को सेवानिवृत्त हो गए।
केश्वरदास को 30 वर्ष की सेवा के पश्चात् तृतीय समयमान वेतनमान का भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कहा कि 28.अप्रैल .2008 एवं आठ अगस्त .2018 को जारी पॉलिसी के तहत् छत्तीसगढ़ शासन के अधीन कार्यरत शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों के सेवाकाल के दौरान 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण होने के पश्चात् क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ प्रदान किये जाने का आदेश किया गया है।
शासन का यही प्रविधान भी है। याचिकाकर्ता वर्ष 2015 में 30 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुका था उसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ विभाग द्वारा प्रदान नहीं किया गया। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के याचिका को स्वीकार करते हुए छ.ग. शासन के सर्कुलर 28 अगस्त 2008 एवं आठ अगस्त 2018 के तहत् आयुक्त आबकारी विभाग रायपुर एवं जिला आबकारी अधिकारी, बलौदाबाजार को याचिकाकर्ता के तृतीय समयमान वेतनमान के भुगतान के संबंध में लंबित अभ्यावेदन का निराकरण करें। हाई कोर्ट के निर्देश से सेवानिवृत प्रधान आरक्षक को राहत मिली है।
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