रायपुर, 5 अक्टूबर । पथरी के इलाज के लिए अब मरीजों को अधिक दिन तक अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होगी। एम्स में एक दिन में चुंबकीय तरंगों की मदद से बिना ऑपेरशन इसका इलाज पूरा हो जाएगा।
यूरोलॉजी विभाग (Urology Department,) में इसके लिए ईएसडब्ल्यूएल (एक्स्ट्राकॉरपोरेल शॉक वेव लीथोट्रिप्सी) मशीन स्थापित की गई। है। इसकी मदद से आठ से 15 एमएम आकार तक की पथरी का बिना किसी ऑपरेशन उपचार किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि पथरी की समस्या लेकर एम्स (AIIMS)आने वाले मरीजों को इससे राहत मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही कम समय में उपचार की प्रकरिया पूरी होने की वजह से ज्यादा मरीजों को इसका लाभ मिल पाएगा।
चिकित्सकों के अनुसार ,इस तकनीक में एक दिन के अंदर रोगी की पथरी का उपचार किया जा सकता है। इसमें एक्स रे और अल्ट्रासाउंड की मदद से पथरी के स्थान को चिन्हित किया जाता है। इसके बाथ ईएसडब्ल्यूएल की मदद से वहां शॉकवेव दी जाती है। चिकित्सक नई तकनीक के माध्यम से शॉकवेव की संख्या और प्रभाव को नियंत्रित करते हैं। पथरी के टूटने तक शॉकवेव दी जाती हैं। इसके बाद पथरी के छोटे हिस्से यूरिन मार्ग से बाहर आ जाते हैं। डाक्टरों का कहना है कि इस तकनीक के साइड इफेक्ट नहीं है और मरीज का उपचार आसानी से संभव है। निदेशक प्रो. अजय सिंह ने आशा जताई है कि इसकी मदद से ओपीडी पर रोगियों का भार कम होगा। इस अवसर पर अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल, डॉ. विनय राठौर, डॉ. दीपक कुमार बिस्वाल आदि भी उपस्थित थे।
40 मिनट में एक मरीज
यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित आर. शर्मा ने बताया कि इस मशीन के माध्यम से 30 से 40 मिनट में एक रोगी का उपचार संभव है। इस प्रकार प्रतिदिन पांच से छह रोगियों की पथरी को ठीक किया जा सकता है। यूरोलॉजी की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 200 रोगियों में से 20 से 25 प्रतिशत को पथरी की समस्या होती है जिसमें प्रति ओपीडी 10 से 15 रोगियों को ईएसडब्ल्यूएल के उपचार की आवश्यकता होती है। अब प्रति मंगलवार, बुधवार और शनिवार को इसका उपचार ओपीडी में किया जाएगा।
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