ICC World Cup IND vs AUS: क्रिकेट के खेल में कहा जाता है कि जब तक आखिरी गेंद ना फेंकी जाए तब तक किसी भी टीम को विजेता नहीं मान लेना चाहिए। 22 गज की पिच पर खेले जाने वाले इस खेल में आए दिन चमत्कार होते रहते हैं। क्रिकेट में एक-एक रन की बड़ी कीमत होती है। इस खेल में ना जाने कितने ही ऐसे मुकाबले खेले गए हैं, जहां एक रन की वजह से टीमों को हार का मुंह देखना पड़ा है।
साल 1987 में खेले गए वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को भी इस एक रन की कीमत असल मायनों में समझ में आई थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए उस मुकाबले में कप्तान कपिल देव की दरियादिली टीम की हार की बड़ी वजह बन गई थी। क्या हुआ था और कैसा पनपा था बाउंड्री को लेकर विवाद, आइए आपको उस मैच की कहानी विस्तार में बताते हैं।
बाउंड्री को लेकर हुआ था विवाद
1983 में नया इतिहास लिखने के बाद कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया 1987 विश्व कप में टाइटल को डिफेंड करने मैदान पर उतरी थी। भारतीय टीम का सामना ऑस्ट्रेलिया के साथ था। कंगारू टीम टॉस गंवाने के बाद पहले बल्लेबाजी करने उतरी और स्कोर बोर्ड पर 270 रन लगाए। ज्यॉफ मार्श ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए शतकीय पारी खेली और 110 रन कूटे।
कपिल देव की दरियादिली पड़ी थी भारी
ऑस्ट्रेलिया की पारी के दौरान बाउंड्री लाइन को लेकर बीच मैदान पर जमकर विवाद भी हुआ था। दरअसल, कंगारू टीम के बल्लेबाज डीन जोन्स ने हवा में एक शानदार शॉट लगाया और बाउंड्री लाइन पर रवि शास्त्री उसको रोकने में नाकाम रहे। शास्त्री ने चौका का इशारा किया, लेकिन डीन जोन्स जिद्द पर अड़ गए और उन्होंने उस शॉट को छक्का बताया।
विवाद को बढ़ता देख कप्तान कपिल देव ने रवि शास्त्री की बात को नजरअंदाज करते हुए डीन जोन्स की बात मान ली और उस शॉट पर ऑस्ट्रेलिया को छह रन मिल गए। बस यही पल था जब कप्तान कपिल देव सबसे बड़ी गलती कर बैठे,जो मैच में आगे चलकर टीम इंडिया की हार की वजह बनी।
एक रन से मिली हार
271 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को सुनील गावस्कर और श्रीकांत ने दमदार शुरुआत दी। गावस्कर ने तेज तर्रार अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 39 रन कूटे, तो श्रीकांत ने 70 रन जड़े। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भी बल्ले से रंग जमाया और 73 रन की आतिशी पारी खेली। हालांकि, इसके बाद भारतीय टीम का बैटिंग ऑर्डर लड़खड़ा गया और टीम को मैच की आखिरी गेंद पर ऑस्ट्रेलिया के हाथों महज एक रन से हार का सामना करना पड़ा।