तम्बाकू व फेफड़े के स्वास्थ्य की चिंता को दर्शाते हुए IPS Dipka के विद्यार्थियों ने लिखे विभिन्न प्रेरक स्लोगन एवं बनाए आकर्षक पोस्टर


• आई.पी.एस दीपका में विश्व धुम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर स्लोगन,पोस्टर एवं नाटिका के माध्यम से लोगों को किया गया जागरूक करने का प्रयास।

• बच्चों ने बेस्ट फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेटिंग माध्यम से दिया सेव लाइफ नो टोबैको का संदेश ।

• बच्चों को सही मार्ग पर लाने के लिए आवष्यक है स्वयं अपना मार्ग बदलें- डाॅ. संजय गुप्ता।

कोरबा, 1 अक्तूबर । धूम्रपान की शुरूआत ज्यादातर किशोरावस्था या किशोरावस्था के आरम्भिक दौर में होती है। धूम्रपान में जोखिम के तत्व और विद्रोह होता है, जो कि अक्सर युवा लोगों को आकर्षित करता है। उच्च स्तर के मॉडल और साथियों की उपस्थिति भी धूम्रपान करने को प्रोत्साहित कर सकती है। चूंकि किशोर वयस्कों की तुलना में अपने साथियों से अधिक प्रभावित होते हैं | इसलिए माता-पिता, स्कूल तथा स्वास्थ्य पेशेवर इन लोगों के सिगरेट पीने के प्रयास को रोकने में अक्सर असफल होते हैं।


धूम्रपान करने वाले माता पिता के बच्चों में गैर धूम्रपान करने वाले माता-पिता के बच्चों से धूम्रपान करने की संभावना अधिक होती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि माता पिता के धूम्रपान छोड़ने का सम्बंध किशोरावस्था में कम धूम्रपान से है, सिवाय तब जब दूसरे माता पिता वर्तमान में धूम्रपान करते हों. एक मौजूदा अध्ययन के परीक्षण में पाया गया है कि धूम्रपान के नियमन के मामले में किशोरावस्था में धूम्रपान का सम्बंध घर में वयस्कों को धूम्रपान की अनुमति से है। परिणाम बताते हैं कि घर में धूम्रपान सम्बंधी प्रतिबंधात्मक नीतियां माध्यमिक और उच्च विद्यालय के छात्रों के धूम्रपान की कोशिश की कम संभावना के साथ जुड़े हैं।
तम्बाकु के इस विषैले प्रभाव एवं भावी पीढ़ी की इसमें संलग्नता से उत्पन्न समाजिक, पारिवारिक एवं राष्ट्रीय खतरे से लोगों की आगाह करने एवं बच्चों को इसकी लत से दूर रखने के उद्देश्य से दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विष्व धुम्रपान निषेध दिवस पर विभिन्न आयोजन किए गए।जिसमें विविध गतिविधियों के द्वारा यह बताया गया कि किस प्रकार तम्बाकु वनस्पतीय पदार्थ होते हुए भी हमारे लिए जानलेवा है। बच्चों द्वारा एक आकर्षक नाटिका का मंचन कर यह दर्शाया गया कि तम्बाकु केवल हमारे स्वास्थ्य को नही अपितु हमारे संस्कारों को भी खत्म कर रहा है। खैनी, गुटखा, जर्दा खाकर अनुचित जगहों पर थूकना गंदगी फैलाना हमारे संस्कारों को खत्म कर रहा है। और हम जैसे कर रहे हैं, हमें देखकर बच्चे भी नहीं सीख रहें है। कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य , स्टाफ एवं सभी बच्चों ने तम्बाकु पदार्थों का सेवन न करने और लोगों को भी इनके सेवन से रोकने का संकल्प लिया।


सभी कक्षा वर्ग के विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक प्रेरक स्लोगन लिखकर लोगों को धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया साथ ही आकर्षक पोस्टर के माध्यम से भी लोगों को चेतावनी देने का प्रयास किया कि तंबाकू का सेवन या धूम्रपान करना किसी भी स्तर पर मानव के हित में नहीं है । इस पूरे आयोजन में मुख्य रूप से श्री वीरेंद्र गुप्ता, श्री सुमित जैन, देबासिस परीडा का विशेष सहयोग रहा।


इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि चिंता को मिटाने के लिए किया गया सिगरेट का सेवन हमें चिता तक पहुँचाता है। आज हमारे देश का भविष्य तम्बाकु के भयानक प्रभाव में समा चुका है। हमें आवष्यक जरूरत है। इन बच्चों को इससे दूर रखने की। बच्चों के सामने भूल से भी सिगरेट गुटखा आदि का सेवन ना करें। बच्चों को सही मार्ग पर लाने के लिए आवष्यक है पहले स्वयं अपना मार्ग बदलें।
विश्व धुम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में बच्चों द्वारा ऑनलाईन बेस्ट फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । बच्चों ने फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेटिंग के माध्यम से लोगों को तंबाकू के सेवन से दूर रहने का दिया संदेश ।


वनस्पति जगत में तरह-तरह के पेड़-पौधे पाए जाते है सभी हमारे लिए जीवनदायी अमृत का कार्य करते हैं क्योंकि सभी पेड़-पौधे हमें आक्सीजन देते है।परंतु इनमे से कुछ हानिकारक भी होते है जिनके फल-फूल या पत्तीयों का सेवन हमें मौत के मूहँ में पहुँचा देता है , उन्हीं में से एक है निकोटियाना प्रजाति की एक झाड़ी जिसके पत्ते को सुखाकर तम्बाकु बनाया जाता है जो आज संपूर्ण जगत को अपने वष में लिए हुए है और हर साल हजारों मौतें तम्बाकु की वजह से होते हैं। युँ तो विष्व में तम्बाकु का इस्तेमाल सिगरेट व सिगार के रूप में किया जाता है, परंतु भारत में इसे कई रूपों में तबदील करके बीड़ी-हुक्का, जर्दा खैनी, गुटखा आदि नामो से बेचा जाता है। आज तम्बाकु ने लगभग सारे घर को अपने कब्जे में ले रखा है। चाहे उसके सेवन के रूप हो चाहे इनसे बने उत्पादों के विक्रय के रूप में हो। बच्चा- बच्चा आज तम्बाकु एवं इसके उत्पादों से परिचित है आलय यह है कि देष का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे भी आज तम्बाकु उत्पादों के सेवन से अछुते नहीं हैं। इससे उनके स्वास्थ्य एवं संस्कार दोनां को छति पहुँच रही है। शौक और मस्ती के साथ षुरू हुआ तम्बाकु का खेल कब जहर में तब्दील हो जाता है इसकी भनक भी व्यक्ति को नही पड़ती।इसके इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारीयाँ शरीर को गलाने व सड़ाने लगती है। तंबाकू का उपयोग वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा कारण है (उच्च रक्तचाप के बाद) और वर्तमान में 10 वयस्कों में से एक को मारने के लिए जिम्मेदार है। वैश्विक प्रौढ़ तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) 2009 -10 के मुताबिक भारत में 12 करोड़ तंबाकू उपभोक्ता हैं, जिसका मतलब है कि हर नौवां भारतीय तंबाकू का उपभोग करता है।