0 सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं : महापौर
कोरबा। प्रदेश में चुनावी सीजन का माहौल है। विधानसभा चुनाव के लिए सभी जोर आजमाइश कर रहे है। अपने-अपने अनुसार सभी दल चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। इसी बीच विधानसभा चुनाव के पहले ही भाजपा को पहला झटका लगा है।
नगर पालिका निगम कोरबा में 10 जनवरी 2020 को कांग्रेस के राजकिशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हुए थे। भाजपा के अधिक पार्षद जीतकर नगर निगम क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। लेकिन इसके बावजूद वह अपना महापौर नहीं बनवा सके। इसके बाद भाजपा की ओर से महापौर पद की उम्मीदवार रितु चौरसिया ने हार के तुरंत बाद महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी थी। रितु ने एक चुनाव याचिका कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की थी। गुरुवार को इस याचिका को जिला न्यायाधीश ने खारिज कर दिया और महापौर के जाति प्रमाण पत्र को वैद्य करार दिया। विधानसभा चुनाव के काफी पहले ही भाजपा को पहला झटका मिल चुका है।
नगर पालिका निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं। यहां भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक है। लेकिन महापौर के निर्वाचन के समय क्रॉस वोटिंग हुई और कांग्रेस के राज किशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हो गए।
भाजपा ने पार्षद रितु चौरसिया को महापौर का प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन महापौर का चुनाव हुआ और पार्षदों ने वोटिंग की तब कांग्रेस के राजकिशोर प्रसाद विजयी हुए। इससे भाजपा तिलमिला गई थी। संगठन ने रितु चौरसिया को प्रार्थी बनाया और चौरसिया ने एक चुनाव याचिका जिला न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। इसमें लगातार सुनवाई चली। 3 साल तक सुनवाई चलती रही। लेकिन अंतत: जिला न्यायाधीश डीएल कटकवार ने 14 सितंबर को अपना निर्णय सुनाया।
महापौर की ओर से कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता संजय शाह ने बताया कि न्यायालय ने चौरसिया की इस चुनाव याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिससे कि महापौर के जाति प्रमाण पत्र को अवैध ठहराया जा सके। न्यायालय ने महापौर के जाति प्रमाण पत्र को वैध करार दिया और इस चुनाव याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें कि कोर्ट के निर्णय के बाद अब महापौर के जाति को लेकर तमाम चर्चाओं पर पूरी तरह से विराम लग चुका है। भाजपा के संगठन को एक बड़ा झटका भी लगा है। महापौर की ओर से हाई कोर्ट के अधिवक्ता निर्मला शुक्ला और कोरबा के अधिवक्ता संजय शाह ने पैरवी की। आपको यह भी बता दें कि रितु चौरसिया की याचिका को खारिज होने में 3 साल का समय जरूर लगा है। लेकिन एक याचिका भाजपा नेता अशोक चावलानी ने भी लगाई थी। इनकी चुनाव याचिका को न्यायालय ने एक साल के बाद ही निरस्त कर दिया था। अब महापौर की जाति को चुनौती देने वाली सभी चुनाव याचिकाओं का निराकरण हो चुका है। न्यायालय ने सबको निरस्त कर दिया है।
अंत में सत्य की जीत हुई :
कोर्ट में निर्णय आने के बाद भाजपा में घनघोर निराशा छा गई है। तो दूसरी तरफ कांग्रेस में खुशनुमा माहौल है। निर्णय के बाद महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपाई अपना होश खो बैठे थे। वह लगातार झूठ और गलत तथ्यों का सहारा लेकर विकास कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे थे। अब न्यायालय का निर्णय आ चुका है। सत्य परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। यह न्यायालय के निर्णय से एक बार फिर प्रमाणित हो चुका है। भाजपाइयों का सारे हथकंडे धरे के धरे रह गए और अंत में सत्य की जीत हुई है।
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