चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल पर उतारकर ISRO ने एक ऐसा इतिहास रचा जिसकी दुनिया कायल हो गई. अब हमारा देश जल्द ही अंतरिक्ष की महाशक्ति के तौर पर जाना जाएगा. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और चीन के तियागोंग स्पेस स्टेशन के बाद भारत दुनिया का तीसरा स्पेस स्टेशन बनाएगा. कई मायनों में यह ISS और चीन के स्पेस स्टेशन से खास होगा.
चंद्रयान-3 मिशन के बाद भारत आदित्य L-1 मिशन लांच कर चुका है, अब बारी भारत के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान की है जो इसरो का पहला मानव मिशन होगा. ठीक इसके बाद भारत स्पेस स्टेशन प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने वाला है जो उसे दुनिया की टॉप स्पेस एजेंसी की कतार में सबसे ऊपर लाकर खड़ा कर देगा.
कैसा होगा भारत का स्पेस स्टेशन
भारत की ओर से जो स्पेस स्टेशन बनाया जाएगा उसका भार 20 टन होगा, जबकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का भार तकरीबन 450 टन और चीनी स्पेस स्टेशन का वजन तकरीबन 80 टन तक है. ISRO की योजना इसे इस तरह तैयार करने की है ताकि इसमें 4-5 अंतरिक्ष यात्री रह सकें. इसे धरती की निम्न ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. इसे LEO कहते हैं जो तकरीबन 400 किलोमीटर दूर है.
2030 तक पूरा होगा सपना
भारत के स्पेस स्टेशन का ऐलान इसरो के निवर्तमान अध्यक्ष के सिवन ने 2019 में किया था. ये भी बताया था कि गगनयान मिशन के बाद भारत 2030 तक इस सपने को पूरा करेगा. दरअसल गगनयान मिशन इसका पहला चरण है. जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 400 किलोमीटर दूर LEO कक्षा में भेजा जाएगा. जहां तक गगनयान मिशन जाएगा वहीं पर भारत ने स्पेस स्टेशन को स्थापित करने की प्लानिंग की है. खास बात ये है कि भारत सरकार की ओर से स्पेस डॉकिंग जैसी तकनीक पर रिसर्च के लिए बजट में प्रावधान होने के बाद इस उम्मीद को और बल मिला. यह तकनीक स्पेस स्टेशन में प्रयोग की जाती है.
अमेरिका देगा भारतीय एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग
भारत का स्पेस स्टेशन बनकर तैयार होने से पहले ही अमेरिका भारतीय एस्ट्रोनॉट को प्रशिक्षण देगा. इसके लिए NASA और ISRO के बीच करार भी हो चुका है. 2024 में भारत के दो अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भी जा सकते हैं. इससे पहले इन्हें अमेरिका के ह्यूस्टन मेंस्थित जॉनसन स्पेस सेंटर में ट्रेनिंग दी जाएगी. चंद्रयान-3 की लांचिंग के वक्त व्हाइट हाउस की ओर से जो बयान जारी किया गया था. उसमें भी इसकी पुष्टि की गई थी. व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि भारत ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, चंद्रयान-3 की जानकारी इस मिशन के काम आएंगी और नासा भारत के एस्ट्रोनॉट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहने की ट्रेनिंग देगा. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी अपने बयान में कहा था कि गगनयान मिशन के बाद एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग लेने जाएंगे.
क्या होता है स्पेस स्टेशन
स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में ऐसा स्थान है जहां रहकर वैज्ञानिक तरह-तरह के रिसर्च करते हैं. यह स्टेशन लगातार धरती की ऑर्बिट में चक्कर लगाता रहता है.आम तौर पर एक एस्ट्रोनॉट को यहां 6 माह तक रहना होता है, उसके बाद दूसरा दल भेज दिया जाता है और पहला दल वापस आ जाता है. हर समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कम से कम 7 एस्ट्रोनॉट रहते हैं, कभी-कभार इनकी संख्या बढ़ भी जाती है. इस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 15 देशों ने मिलकर तैयार किया था. इसमें NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, कैनेडियन स्पेस एजेंसी, जापानी एयरोस्पेस एक्सपोरेशन एजेंसी और रूस की रॉसकॉसमॉस प्रमुख हैं. पहले इसे 2024 तक रहता था, लेकिन हाल ही में नासा ने इसे 2030 तक के लिए बढ़ा दिया है.
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