प्रतिस्पर्धा आयोग यानी CCI ने टाटा ग्रुप की एयरलाइन एयर इंडिया-विस्तारा के विलय को मंजूरी दे दी है। हालांकि, यह अनुमति कुछ शर्तों पर निर्भर है। विस्तारा एयरलाइन का विलय होने के बाद भी पूर्ण-सेवा एयरलाइन को एयर इंडिया के नाम से ही जाना जाएगा।
आसान भाषा में समझें तो विलय के बाद विस्तारा एयरलाइन का वजूद खत्म हो जाएगा। सीसीआई की ओर से कहा गया, “सीसीआई ने टाटा एसआईए एयरलाइंस के एयर इंडिया में विलय को और पार्टियों द्वारा प्रस्तावित स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं के अनुपालन के अधीन एयर इंडिया में सिंगापुर एयरलाइंस द्वारा कुछ शेयरों के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।” विलय में टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल), एयर इंडिया लिमिटेड, टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड (टीएसएएल) और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड पक्ष बने हैं।
एयर इंडिया से पूछे गए थे सवाल: हाल ही में सीसीआई ने एयर इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि विस्तारा के साथ विलय के प्रस्ताव की जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए। कंपनी को इस नोटिस का जवाब 30 दिनों में देना था। एयर इंडिया की ओर से जवाब देने के बाद अब सीसीआई ने विलय की मंजूरी दी है।
इस सौदे के बाद एयर इंडिया देश की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन और दूसरी सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन बन जाएगी। पिछले साल जनवरी में सरकार से एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के बाद से ही टाटा समूह इसके पुनर्गठन की कोशिशों में लगा है। इस क्रम में विस्तारा का विलय एयर इंडिया के साथ जबकि एयरएशिया इंडिया का विलय एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ किया जा रहा है।
बता दें कि विस्तारा, टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइन की ज्वाइंट वेंचर है। टाटा संस की 51 फीसदी और सिंगापुर एयरलाइन की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। इस विलय के बाद एयर इंडिया की वैश्विक स्तर पर दर्जनों नए स्लॉट तक पहुंच होगी। वहीं, टाटा संस के एयरलाइन कारोबार को मजबूती मिलेगी।
एविएशन इंडस्ट्री में किसका दबदबा : एयर इंडिया की ओर से विलय की कवायद का असर एविएशन इंडस्ट्री पर भी पड़ने वाला है। इस इंडस्ट्री में एयर इंडिया का दबदबा बढ़ेगा। हालांकि, अब भी इंडिगो की एविएशन में सबसे बड़ी 60% की बाजार हिस्सेदारी है। एयर इंडिया औरविस्तारा की बाजार हिस्सेदारी कुल मिलाकर 18.4% है। अगर एयर एशिया को भी एयर इंडिया के बास्केट में जोड़ लेते हैं तो हिस्सेदारी 30% से नीचे ही रहेगी।
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