बच्चों को बचपन से ही बुजुर्गों का सम्मान किया जाना सिखाया जाना चाहिए : जिला न्यायाधीश कोरबा

जिला न्यायालय के ए.डी.आर. भवन में संपन्न हुआ, वरिष्ठजनों के कल्याण से संबंधित विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला


कोरबा, 25 अगस्त I माननीय कार्यपालक अध्यक्ष छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार  ‘‘ माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007  के तहत्  वरिष्ठजनों को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक किये जाने के प्रयोजनार्थ कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किये जाने के निर्देश होने के कारण  जिला न्यायालय परिसर के ए.डी.आर. भवन में डी.एल. कटकवार, जिला एवं सत्रा न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया गया।

उक्त अवसर पर सुश्री संघपुष्पा भतपहरी, प्रथम अपर जिला एवं सत्रा न्यायाधीश, श्रीमती ज्योति अग्रवाल, अपर सत्रा न्यायाधीश (एफ.टी.सी. )कोरबा, विक्रम प्रताप चंद्रा, विशेष न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. पाॅक्सो कोरबा, कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, द्वितीय अपर सत्रा न्यायाधीश, बृजेश कुमार राॅय, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कोरबा, श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक, श्रीमती शीतल निकुंज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, मंजीत जांगडे, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो, संजय जायसवाल, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, नूतन सिंह ठाकुर, सचिव जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, हरिशंकर पैकरा,  एस.डी.एम पोडी-उपरोडा, एवं सुश्री रूचि शार्दूल, डिप्टी कलेक्टर कोरबा, जिला न्यायालय कोरबा के लीगल एड डिफेंस कौंसिल तथा पैनल अधिवक्तागण सहित पैरालीगल वाॅलिंटियर्स विशेष रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज की।


मान. जिला न्यायाधीश जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा, कल्याण और संरक्षण देने के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण एक्ट, 2007 को लागू किया गया था। इस एक्ट में बच्चों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने माता-पिता को मेनटेनेंस (भरण-पोषण या गुजारा भत्ता) दें और सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह ओल्ड एज होम्स बनाए और वरिष्ठ नागरिकों को मेडिकल सहायता सुनिश्चित करे। एक्ट भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन करता है।  कोई वरिष्ठजन, जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक है, इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो स्वयं आय अर्जित करने में असमर्थ है अथवा उनके स्वामित्वाधीन संपत्ति में से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है, ऐसे उक्त अधिनियम के अंतर्गत भरणपोषण हेतु आवेदन करने हेतु हकदार है। जिला न्यायाधीश जी ने जोर देते हुए कहा की प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार देना चाहिए की वे अपने से बडे़ बुजुर्गों का सदैव निष्ठा के साथ मान-सम्मान करें ताकि जब माता-पिता बुढे हों तो उनके बच्चे उनका उचित ध्यान रख सकें जिससे वरिष्ठजनों का जीवन स्तर सुधारा जा सकेगा।

मान. सुश्री संघपुष्पा भतपहरी, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा ने अपने वक्तव्य में कहा की बच्चों का कर्तव्य बनता है की वे अपने बुजुर्ग माता-पिता का बुढापे में ख्याल रखे तथा यदि आज हम अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करेंगे तो आने वाले समय में हम कैसे अपने बच्चों से अपनी सेवा की उम्मीद कर सकते है।
 

प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित अन्य न्यायाधीशगणों ने अधिनियम के तहत होने वाली कार्यवाहियों एवं प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए वरिष्ठजनों का जीवन स्तर को कैसे सुधारा जा सकता है, अनेकों उदाहरण के माध्यम सेे व्यक्त किया तथा अधिनियम से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रदान किया। कार्यशाला के अंत में श्रीमती शीतल निकुंज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा सभी वरिष्ठजन, न्यायिक अधिकारियों का आभार प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठजन श्री पी.एल. सोनी, के द्वारा किया गया। उक्त कार्यशाला में वरिष्ठजन श्रीमती मधु पाण्डेय, सुभांकर विश्वास, प्रमुख, हेल्पेज इंडिया, के0एन0 सेठ, डी.एस बनाफर, लक्ष्मी राम यादव, एल.आर. साहू, जे. उपाध्याय, दयाल नारायण शर्मा, के.पी. तिवारी, भिखार साव, टेस राम साहू, एन.के. शर्मा, पैरालीगल वाॅलिंटियर्स के द्वारा माता-पिता भरण पोषण अधिनियम 2007, वरिष्ठजनों के कल्याण एवं नेशनल लोक अदालत से संबंधित विधिक पाम्पलेटों का वितरण कर विधिक जानकारियों का प्रचार प्रसार किया गया।