65 वर्षीय वृद्ध महिला का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा डॉ.रवि जायसवाल ने

छत्तीसगढ़ का पहला उदाहरण- 65 वर्षीय महिला का हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट, महिला मल्टीपल मायलोमा ब्लड कैंसर से थी पीड़ित, अब पूर्णतः स्वस्थ, अस्पताल से दी गई छुट्टी

रायपुर, 25 अगस्त । मध्य भारत के प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.रवि जायसवाल ने कैंसर चिकित्सा क्षेत्र में अपने चिकित्सकीय कौशल का एक और उदाहरण पेश करते हुए 65 वर्षीय वृद्ध महिला का सफलतापूर्वक बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा तथा महिला को जीवनदान दिया। छत्तीसगढ़ का यह पहला उदाहरण है कि 65 वर्ष की उम्र की महिला को सफलतापूर्वक बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया गया है, जबकि आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना अत्यंत जोखिमभरा होता है।

रामकृष्ण केयर हास्पिटल रायपुर में 65 वर्षीय वृद्ध महिला का सफलतम बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैंसर विशेषज्ञ डॉ.रवि जायसवाल के द्वारा किया गया। वृद्ध महिला श्रीमती प्रेमा, मल्टीपल मायलोमा नामक ब्लड कैंसर से पीड़ित थी, विगत दो वर्षो से उनका इलाज किया जा रहा था , किन्तु दवाईयॉं असर नहीं कर रही थी, केस अत्यंत जटिल था तथा एकमात्र विकल्प बचा था कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाय, दूसरा और कोई रास्ता नहीं था। आमतौर पर 50 वर्ष से ऊपर के मरीज को बोन मैरो ट्रांसप्लांट किये जाने से बचा जाता है, वहीं यदि मरीज की उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट अत्यंत जोखिमभरा होता है।

डॉ.रवि जायसवाल ने उक्त वृद्धि महिला के परिजनों से विस्तार से चर्चा की, उनके साथ काउंसिलिंग की तथा प्रकरण के सभी पहलुओं से उन्हें अवगत कराया। परिजनों ने डॉ.रवि जायसवाल के चिकित्सकीय कौशल पर अपना पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट का आग्रह किया , क्योंकि मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी, कैंसर हड्डियों तक में फैल चुका था, डॉ.रवि जायसवाल ने बोनमैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया प्रारंभ कराई जो 15 दिनों तक जारी रही। इस दौरान 10 दिनों तक केस क्रिटिकल रहा, किन्तु डॉ.रवि जायसवाल के चिकित्सकीय कौशल ने एक बार फिर अपना असर दिखाया, दवाईयों ने भी अच्छा काम किया तथा बोन-मैरो ट्रांसप्लांट पूर्ण रूप से कामयाब रहा। अब वह वृद्ध महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुकी है, रूटिन की दवाइयां जारी है तथा अभी दो दिन पूर्व ही उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में डॉ.रवि जायसवाल के सहायक डॉ.सुरेन्द्र पटेल, डॉ.ललित डोेंगरे एवं उनके नर्सिंग स्टाफ ने अपने-अपने दायित्वों का बख़ूबी निर्वहन किया।