ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कहा कि कुछ इलाकों को छोड़कर असम-अरुणाचल अंतरराज्यीय सीमाओं से जुड़े ज्यादातर विवादों को सुलझा लिया गया है। दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में बोडो जनजाति रहती है। ‘अरुणाचल प्रदेश के बोडो के सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों को समझना’ विषय पर यहां पहले इंटरैक्टिव सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमा रेखा खींचना काम का अंत नहीं है।
उन्होंने कहा, सीमा के दोनों ओर शांति और प्रगति जारी रहनी चाहिए। सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को सौहार्द्र और भाईचारे के साथ मिलकर काम करना होगा। खांडू ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ईमानदारी की कमी और उसके जटिल रवैये के कारण यह पहले संभव नहीं था।मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर के प्रति कांग्रेस के सौतेलेपन और गैर-जिम्मेदाराना रवैये” का आरोप लगाते हुए कहा कि इस ‘रवैये’ ने क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया, खासकर असम को, जिसे हिंसा, बंदूक संस्कृति और उग्रवाद के उथल-पुथल भरे दौर से गुजरना पड़ा।उन्होंने कहा, लेकिन 2014 के बाद से चीजें काफी बदल गई हैं। शांति बहाल हो गई है और विकास तेजी से हो रहा है।
भ्रष्टाचार को क्षेत्र में विकास और शांति के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक बताते हुए, खांडू ने इसके लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन को दोषी ठहराया, और कहा कि ‘भ्रष्टाचार’ तत्कालीन केंद्र सरकार का एक ‘उपहार’ था।उन्होंने कहा, आज, हमारी सरकार, अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति से समर्थित, शासन के हर क्षेत्र से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर रही है। बोडो के पिता तुल्य, बोडोफा उपेन्द्रनाथ ब्रह्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, जिनके अग्रणी अहिंसक संघर्ष ने आत्मनिर्णय और स्वायत्तता का मार्ग प्रशस्त किया जिससे बोडोलैंड का निर्माण हुआ – खांडू ने कहा कि बोडो और अरुणाचली अनादि काल से विश्वास और सम्मान वाला एक विशेष संबंध साझा करते हैं। खांडू ने कहा, अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले बोडो भाइयों और बहनों के लिए मैं भविष्य में अपना पूरा सहयोग और समर्थन देने का वादा करता हूं।
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