बालको की उन्नति परियोजना ने महिलाओं को बनाया आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर


कोरबा, 14 अगस्त । सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं की भागीदारी के उद्देश्य से बालको आजीविका, शिक्षा, कौशल, महिला सशक्तिकरण, आधारभूत संdरचना विकास क्षेत्रों में योगदान दे रही है। वैश्विक लक्ष्य नो पॉवर्टी, जीरो हंगर और जेंडर इक्वलिटी के प्रति समर्पित परियोजनाएं कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। बालको के सामुदायिक कार्यक्रमों का प्रमुख लक्ष्य सामाजिक-आर्थिक समानता का निर्माण करना है। कंपनी के उन्नति परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षिण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों हेतु विभिन्न उत्पाद बनाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से बालको प्रतिभागियों को अपने लिए राजस्व और आय सृजन के लिए अतिरिक्त स्त्रोत बनाने में मदद कर रहा है। पहले जो महिलाएं मुश्किल से अपने घर और बस्तियों से बाहर निकलती थीं अब वे कंपनी के सामुदायिक विकास परियोजना के तहत चॉकलेट, आचार, सलोनी, राखी, मूर्ति कला, सिलाई एवं कढ़ाई, पेंटिंग तथा कई अन्य सूक्ष्म उद्यम चलाती हैं I


उन्नति परियोजना की मदद से बालको ने स्थानीय महिलाओं को अनेक सामुदायिक गतिविधियों से जोड़ा है जिससे उन्हें आजीविका प्राप्त करने और खुद के पैरों पर खड़े होने में मदद मिली है। उन्नति परियोजना से प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं रक्षाबंधन त्यौहार के दौरान हस्तनिर्मित राखियां बनाकर बेचती है। वहीं एसएचजी सदस्यों ने विभिन्न त्यौहार दिवाली, गणेश चतुर्थी पर नर्मदा नदी से निकाली गई पवित्र मिट्टी और गंगा नदी के पानी से भगवान गणेश की पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां बनाती हैं। महिलाएं मूर्तियों को बेचकर अपनी आर्थिक रूप से संपन्न एवं आत्मनिर्भर हो रही हैं।


इसके अलावा ‘छत्तीसा’ पहल के तहत जिसमें पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाना सिखाया जाता है। परियोजनाओं से अब तक 300 से ज्यादा एसएचजी सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्नति परियोजना के अंतर्गत विभिन्न चॉकलेट उत्पादों को लॉन्च किया जा चुका है। एसएचजी सदस्यों द्वारा घर में बनाएं गए स्वादिष्ट ब्लूबेरी, क्रैनबेरी चॉकलेट, डार्क चॉकलेट, मिल्क चॉकलेट और व्हाइट चॉकलेट के साथ-साथ बादाम, काजू और किशमिश जैसी विभिन्न प्रकार की चॉकलेट शामिल हैं। एसएचजी की महिला सदस्यों ने छतीसा मिशन के तहत पारंपरिक छत्तीसगढ़ व्यंजनों को आधुनिक स्वादों के साथ मिश्रित करते हुए इलायची और चिरौंजी से युक्त चॉकलेट भी बना रही हैं। साथ ही स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ पौष्टिक सामग्री की प्राथमिकता को समझते हुए एसएचजी के सदस्यों ने अपने ‘देसी नट्टी’ चॉकलेट में चने और मूंगफली जैसे प्रोटीन युक्त सामग्री को भी शामिल किया है। छत्तीसा के तहत 7 किस्मों की होममेड चॉकलेट बनायी जाती है जिन्हें उपभोक्ता प्री-ऑर्डर के आधार पर खरीद सकते हैं।


बालको ने उन्नति परियोजना के तहत सैनिटरी नैपकिन की मैन्युफैक्चरिंग माइक्रो एंटरप्राइज की एक इकाई “उन्नारी” की शुरूआत किया है। इसमें महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन बनाने और बेचने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। एसएचजी महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके स्वस्थ्य जीवनशैली को सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक मजबूत कदम है।


उन्नति परियोजना के अंतर्गत महिला सबलीकरण के उद्देश्य से आर्थिक समावेशन एवं स्वावलंबन, समूह तथा सामाजिक सुदृढ़ीकरण के आधार स्तंभों को लक्षित किया गया है। महिलाओं की रचनात्मक भागीदारी से यह परियोजना नई ऊंचाइयों को छूएगी। उन्नति परियोजना महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ाने और उनके पूरे समुदायों के लिए एक उज्जवल भविष्य को आकार देने के प्रयासों का एक प्रमाण है।


‘उन्नति परियोजना’ का संचालन स्वयंसेवी संगठन जीपीआर स्ट्रैटेजीज एंड सोल्यूशंस के सहयोग से किया जा रहा है। इसके जरिए महिलाओं को अनेक गतिविधियों से जोड़ा गया है जिससे उन्हें आजीविका प्राप्त करने और खुद के पैरों पर खड़े होने में मदद मिली है। इस वित्तीय वर्ष में 40 से अधिक नए एसएचजी का गठन किया गया है। कोरबा के 45 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 500 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 5066 महिलाओं को विभिन्न कार्यक्रमों से लाभ मिल रहा है। परियोजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन विकास की दिशा में कार्य जारी है। महिलाओं को क्षमता निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, सूक्ष्म उद्यमों के प्रचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।