रायपुर,05 अगस्त । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि, जूनियर डॉक्टर्स का स्टाइपेंड बढ़ाया जा रहा है। स्टाइपेंड की मांग को लेकर कई बार जूनियर डॉक्टर विरोध कर चुके थे। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री भू्पेश ने ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि यह जानकारी साझा करते हुए संतोष हो रहा है कि हमने जूनियर डॉक्टर्स का स्टाइपेंड बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस प्रकार PG फर्स्ट ईयर करने वाले जूनियर डॉक्टर्स को 67500 रुपए मिलेंगे, इससे पहले इन्हें 53, 550 रुपए मिल रहे थे।
1-PG सेंकड ईयर करने वाले जूनियर डॉक्टर्स का स्टाइपेंड 56700 से 71450 किया गया है।
2- PG थर्ड ईयर करने वाले जूनियर डॉक्टर्स का स्टाइपेंड बढ़ाकर 59200 से 74600 किया गया है।
3-MBBS करने वालों को 15900 मिलेंगे। उन्हें इससे पहले 12600 स्टाइपेंड मिल रहा था।
3 हजार से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर थे
प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स की संख्या 3 हजार से ज्यादा है। ये सभी प्रदेश अलग-अलग जिलों के मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। इसके साथ ये लोगों का इलाज भी करते हैं। 4 दिन पहले भी इन लोगों ने हड़ताल किया था। सुबह से ओपीडी में रहने वाले जूनियर डॉक्टर नहीं थे। उनकी जगह रेगुलर स्टाफ ही अपनी सेवाएं दे रहे थे। इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से दूर रखा गया था। जूडा एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा था कि जल्द मांगें नहीं मानी गई तो इमरजेंसी सेवाओं को भी बंद कर दिया जाएगा। पहले दिन अस्पताल आने वाले मरीजों का हड़ताली डॉक्टर्स ने पंडाल में ही चेकअप किया था।
सबसे कम मानदेय था
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मनु प्रताप सिंह ने बताया था कि राज्य में जूनियर डॉक्टर्स को मिलने वाला स्टाइपेंड दूसरे राज्यों के मुकाबले बेहद कम है। उन्होंने बताया कि आस-पास के स्टेट एमपी, झारखंड से भी कम स्टाइपेंड प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स को मिलता है। दूसरे प्रदेशों में जहां 95 हजार रुपए तक दिया जाता है। वहीं छत्तीसगढ़ में 50-55 हजार रुपए ही मिलते हैं। किसी भी प्रदेश में 2 साल का बॉन्ड नहीं भरवाया जाता है। केवल छत्तीसगढ़ में ही ऐसा हो रहा है। बीते 4 साल में मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। इसके चलते मजबूरन अब हड़ताल का कदम उठाना पड़ा था।
6 महीने पहले हुई थी हड़ताल
जूनियर डॉक्टर्स 6 महीने पहले भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। उस समय सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि उनकी मांगों पर जल्द फैसला लिया जाएगा, लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं आया। जिससे जूनियर डॉक्टर्स में नाराजगी थी। इसके बाद चार दिन पहले इन्होंने फिर से हड़ताल शुरू कर दिया था।
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