नदी-नालों में उफान आते ही यहां थम जाती है शिक्षा की धारा, प्रिन्सिपल का अलर्ट मैसेज, जल स्तर बढ़ गया है अभी स्कूल मत आना बच्चों
कोरबा,05 अगस्त। अति आवश्यक सूचना, सावधान रहें, सतर्क हो जाएं, छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है, कि अतिवृष्टि के कारण नदी-नालों में उफान आने पर आप नदी पारकर विद्यालय नहीं आएंगे। घर में रहकर अध्ययन कार्य करेंगे।प्राचार्य के आदेशानुसार जारी किया गया यह अलर्ट स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय उतरदा के विद्यार्थियों के लिए है, जो वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पालकों को भेजा गया है। इस विद्यालय के आस-पास के कुछ गांव पिनी नदी के उस पार हैं। पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के असर से इस नदी का जलस्तर बढ़ गया है और नदी उफान पर है। उस पार के बच्चे 12 माह इस नदी को पार कर के विद्यालय आते हैं। पानी कम होने पर तो बच्चे किसी तरह इस पार आ जाते हैं, लेकिन जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ उस ओर के बच्चोें के लिए मुश्किलें बढ़ने के साथ शिक्षा की डगर कठिन होती जाती है।
एक वक्त के बाद जब नदी पूरे उफान पर होती है, उस पार के बच्चों के लिए स्कूल का रास्ता और पढ़ाई तब तक के लिए थम जाती है, जब तक कि नदी शांत न हो जाए। वर्षों से चली आ रही यह समस्या एक बार फिर उठ खड़ी हुई है और बीते तीन दिनों से नदी उस पार के छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं आ रहे हैं। वे कहीं रौद्र रूप धारण कर रही नदी को पार करने का प्रयास न करें, इस खतरे के मद्देनजर स्कूल के प्राचार्य पीपी अंचल के आदेशानुसार पालकों के अधिकृत मोबाइल नंबरों व शिक्षकों के समन्वय से बनाए गए ग्रुप में अलर्ट मैसेज जारी किया गया है। इसमें बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है कि अतिवृष्टि के कारण नदी-नाले उफान पर हैं। इसलिए नदी उस पार के गांव के बच्चे किसी भी दशा में नदी पार कर विद्यालय नहीं आएंगे। जब तक नदी शांत नहीं हो जाती, जल स्तर सामान्य नहीं हो जाता और रास्ता सुरक्षित नहीं हो जाता, वे सभी अपने-अपने घर में रहकर ही अध्ययन कार्य करते रहें।
नदी में यूनिफॉर्म भीगने से बचाने बैग में अतिरिक्त कपड़ा
ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के बच्चों को अपनी शिक्षा और अपने स्कूल से इतना लगाव है, कि वे नियमित स्कूल जाते हैं। इस उत्साह में उन्हें कई बार नदी पार करते समय अपने यूनिफॉर्म गीले करने पड़ जाते हैं। ज्यादा पानी होने पर कई साहसी बच्चे यूनिफॉर्म उतार लेते हैं या एक अतिरिक्त सिविल ड्रेस लेकर चलते हैं। नदी पार कर गीले कपड़े बैग में डाल लेते हैं और यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल आ जाते हैं। छुट्टी के बाद वापसी में पुन: यूनिफॉर्म निकालकर बैग में रख लेते हैं और गीले कपड़े निकालकर पहन लेते हैं, फिर उसी तरह नदी पार कर गांव पहुंचते हैं।
4 किमी दूर इन गांवों से दो दर्जन बच्चे प्रभावित, पुल का काम बंद
स्वामी आत्मानंद उतरदा में इसी साल कक्षा पहली भी शुरू हुई है और पहली से 12वीं तक कुल विद्यार्थियों की संख्या यहां 630 है। इसी तरह कक्षा नवमीं से 12वीं तक 454 बच्चे अध्ययनरत हैं। इन्हीं बड़ी कक्षाओं के करीब दो दर्जन छात्र-छात्राएं नदी उस पार से प्रतिदिन स्कूल आना-जाना करते हैं। 3 से 5 किलोमीटर दूर इन गांवों में धौंराभाठा, रामपुर, बुड़गहानिया व अंडीकछार पारा शामिल हैं। इन बच्चों को पिछले कई वर्षों से बारिश का मौसम आते ही नदी उस पार ठहर जाने की मजबूरी से गुजरना पड़ रहा है। पिछले तीन दिनों से एक बार फिर उनका स्कूल आने का रास्ता और शिक्षा की डगर बाधित हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इस नदी पर पुल निर्माण की योजना स्वीकृत हुई थी, जो शुरू तो हुई, पर आधे-अधूरे काम के बाद बंद हो गई है। अगर यह नदी बन जाती, तो बच्चों की समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।घंटी के वक्त किनारे पर खड़ी रहती हैं क्लर्क शीलू
इस विद्यालय में कार्यरत लिपिक श्रीमती शीलू ध्रुव भी नदी उस पार के गांव धौराभांठा से आती हैं। जब से नदी का जलस्तर बढ़ा है, करीब 3 से 4 किलोमीटर दूर इस गांव से वे आकर क्लर्क शीलू नदी किनारे आकर खड़ी हो जाती हैं। स्कूल लगने के समय पर यहां वे इसलिए आती हैं, ताकि बच्चों को खतरा उठाकर नदी पार करने की कोशिश से रोक सकें। स्कूल प्रबंधन से जारी मैसेज अलर्ट में यह भी कहा गया है कि बरसात के मौसम में अपनी सेहत का ध्यान रखें। गर्म पानी पीएं, स्वच्छता का ध्यान रखें, गीले दीवारों के किनारे न जाएं तथा स्वयं सावधानी रखने के साथ दूसरों को सुरक्षित रहने के लिए जागरुक करें।
वर्जन
विद्यालय में बड़ी कक्षाओं के करीब 20 से 25 छात्र-छात्राएं 4 से 5 किलोमीटर दूर के गांव से भी पढ़ने आते हैं। उनके रास्ते में एक नदी पड़ती है, जो लगातार हो रही बारिश के असर से इन दिनों उफान पर है। बढ़े हुए जलस्तर को पार करने का खतरा उठाने से रोकने के लिए ही बच्चों के ग्रुप में मैसेज भेजकर अलर्ट जारी किया गया है। उन्हें कहा गया है कि सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उफनती नदी को पार करने की कोशिश न करें। घर में रहकर अध्ययन कार्य जारी रखें और अपनी सेहत का ध्यान रखें।
– पीपी अंचल, प्राचार्य, स्वामी आत्मानंद उतरदा
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