नईदिल्ली I मुहर्रम के जुलूस में ड्रम बजने से होने वाले शोर को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि बेरोकटोक ऐसा करना गलत है क्योंकि इससे लोगों की शांति भंग होती है और कोई धर्म इसकी इजाजत नहीं देता. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि एक पब्लिक नोटिस जारी कर इसके लिए समय निर्धारित करें, जिससे दूसरे लोगों कोई दिक्कत न हो.
जस्टिस टीएस शिवागनम और जस्टिस हीरानमय भट्टाचार्य की बेंच एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुहर्रम के दौरान ड्रम बजाने से होने वाले शोर का मुद्दा उठाया गया. वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार के उस निवेदन को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया कि ये धार्मिक गतिविधियां हो सकती हैं, जो मुहर्रम के दौरान की जाती हैं.
पुलिस को दिए निर्देश
कोर्ट ने कहा कि किसी भी समय बिना रोक टोक के ड्रम बजाना अनुचित है और जैसा याचिकार्ता का कहना है अगर सच में वैसा होता है तो यह पूरी तरह से गैरकानूनी है. कोर्ट ने कहा कि यह नियमों का उल्लंघन है इसलिए पुलिस को निर्देश दिए जाते हैं कि इसे लेकर समय निर्धारित करें और सिर्फ उस समय में ही इन गतिविधियों के लिए इजाजत दी जाए.
कोर्ट ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नागरिकों वह सुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जो वह पसंद नहीं करते या सुनना नहीं चाहते. कोई धर्म इसकी इजाजत नहीं देता कि दूसरों को परेशान करके या एम्पलीफायर और ड्रम बजाकर ही प्रार्थना की जाए.
कोर्ट ने कहा- बच्चों, बूढ़ों और बीमार लोगों को हो सकती है दिक्कत
कोर्ट शगुफ्ता सुलेमान की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मुहर्रम के दौरान दिन रात ड्रम बजाने का मुद्दा उठाया गया. राज्य सरकार ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनका ये कहना गलत है कि दिन रात ऐसा होता है ये गतिविधियां सिर्फ सुबह 6 बजे से रात को 10 बजे तक होती हैं. इसके जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, “सुबह 6 बजे का समय बहुत जल्दी होता है, ड्रम बजाने की इजाजत तो 8 बजे भी नहीं दी जा सकती है क्योंकि उस समय बच्चों को स्कूल जाना होता है, बल्कि बुजुर्गों, बूढ़ों और बीमार लोगों को भी इससे परेशानी हो सकती है.” कोर्ट ने यह भी कहा कि शाम को 7 बजे के बाद भी इस तरह की गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
पुलिस को एसओपी तैयार करने को कहा
कोर्ट ने पुलिस और पॉल्यूशन कंट्रोल ब्यूरो को निर्देश दिया कि जब कोई त्योहार या इवेंट हो तो नागरिकों को संबंधित नियमों के बारे में बताना उनकी जिम्मेदारी है. बेंच ने आगे कहा कि अधिकारियों को इस संबंध में एक एसओपी तैयार करनी चाहिए ताकि ऐसी सभाओं के दौरान म्युजिक इंस्ट्रुमेंट्स का इस्तेमाल सही से हो और ध्वनि प्रदूषण न हो जितनी आवाज की इजाजत है उसका ख्याल रखा जाए.
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