Raipur AIIMS में तारीख पर नहीं मिली सीटी स्कैन रिपोर्ट, दर्द से कराहते मरीज ने की खुदकुशी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की ढीली जांच प्रक्रिया में किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज खुदकुशी का शिकार हो गया। डॉक्टरों की सलाह पर कराए गए सीटी स्कैन (CT Scan) की रिपोर्ट उसे दो माह बाद भी नहीं मिली। इस दौरान मरीज की पीड़ा बढ़ती चली गई, जिससे दुखी होकर उसने खुदकुशी कर ली। मरीज के भाई ने आरोप लगाया है कि स्थिति गंभीर होने के बाद भी इलाज के बजाय चिकित्सा रिपोर्ट का इंतजार करते रह गए।

मिली जानकारी अनुसार चंपारण के समीप ग्राम जौंदा में रहने वाले कृष्णा विश्वकर्मा ने अपने भाई किशन की मौत के मामले में एम्स (AIIMS) के जांच और उपचार सिस्टम पर सवाल उठाया है। उसने आरोप लगाया कि किशन की खुदकुशी का कारण अस्पताल की लचर व्यवस्था है। उसने बताया कि किशन को 5 मई को मेकाहारा से किडनी संबंधित बीमारी के इलाज के लिए एम्स भेजा गया था। यहां महीनेभर इलाज के दौरान 20 और 25 मई को दो सीटी स्कैन कराए गए थे। पहले सीटी स्कैन की रिपोर्ट मिली, मगर दूसरे के लिए तारीख दे दी गई और वे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे।

इस बीच किशन की हालत लगातार बिगड़ती रही। पेट में लगाए गए पाइप में समस्या आने की वजह मवाद आने और पेट फूलने की शिकायत हो रही थी। रविवार को तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर इमरजेंसी में दाखिल करने एंबुलेंस (Ambulances) के माध्यम से उसे एम्स लेकर आया था, जहां एक बार फिर वह अव्यवस्था का शिकार हो गया। डॉक्टरों (Doctors) ने जांच के बाद बीपी सामान्य बताकर उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। रात वहीं गुजारने के बाद सोमवार की सुबह पर्ची की लंबी लाइन से जूझकर वह दोपहर में डॉक्टर तक पहुंचा तो उसने फिर से सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। सीटी स्कैन होने और फिल्म के रूप में रिपोर्ट मिलने में शाम हो गई, इसलिए किशन को भर्ती नहीं किया जा सका। एम्स के लचर सिस्टम के बीच किशन बीमारी की असहनीय पीड़ा झेल नहीं पाया और उसने आत्महत्या कर ली।

धर्मशाला में लगाई फांसी

किशन की बीमारी की जांच की ओपीडी सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को होती है। सोमवार को रिपोर्ट मिलने के बाद डॉक्टरों से मिलने बुधवार तक इंतजार के लिए एम्स के सामने स्थित गुरुद्वारा के धर्मशाला में वे ठहर गए थे। कृष्णा अपने गांव वापस आ गया था और किशन अपनी पत्नी के साथ धर्मशाला (Hospice) में रुक गया था। रात खाना खाने के बाद पत्नी की आंख लगी और दर्द से पीड़ित किशन ने छत पर जाकर फांसी लगा ली।

बताया जा रहा है कि मृतक किशन मजदूरी कर अपना और बच्चों का पेट पालता था। भाई कृष्णा ने बताया कि बीमारी की वजह से वह काम नहीं कर पा रहा था। उसकी चार बेटियां हैं, जिसमें सबसे बड़ी 22 साल की है। गुरुद्वारा प्रबंधन की मदद से आमानाका पुलिस ने पंचनामा कर शव का पोस्टमार्टम एम्स में कराया।