गांव गांव में नुक्कड़ सभा, पर्चे बांटकर पीड़ित भू विस्थापित किसानों को किया जा रहा है एकजुट
प्रभावित गांव के भू विस्थापितों का आंदोलन को मिल रहा व्यापक जनसमर्थन*25 गांव के भू विस्थापित किसान होंगे आंदोलन में शामिल
महाघेराव को लेकर एसईसीएल के साथ वार्ता विफल
कोरबा, 18 जुलाई I छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण,मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने,महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने के साथ 11 मांगो को लेकर गेवरा कार्यालय का महाघेराव की घोषणा की है। एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। आंदोलन को सफल बनाने की तैयारी को लेकर गांव गांव में माईक प्रचार, पोस्टर चपकाने ,नुक्कड़ सभा,के साथ घर घर पर्चे बांटे जा रहे हैं। 19 जुलाई को कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट के गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय के महाघेराव को सफल बनाने की तैयारी ने जोर पकड़ लिया है आंदोलन को आम जनता का व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।
**इधर महाघेराव को टालने के लिए किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल के साथ एसईसीएल प्रबंधन ने बैठक कर आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया। बैठक में एसईसीएल की ओर से गेवरा महाप्रबंधक एस के मोहंती,नरशिमहा राव,किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल की ओर से किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,जय कौशिक, माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, भू विस्थापित संघ से शिवदयाल कंवर,राजेश,बसंत,सुभद्रा कंवर,वीर सिंह, बहेतरीन बाई,राजेश,संजय,प्रमोद,ज्ञान सिंह उपस्थित थे। बैठक में किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल की ओर से उपस्थित सभी सदस्यों ने प्रबंधन के आंदोलन स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मांगो पर निर्णय लेने का अधिकार आपके पास है ही नहीं तो आपसे क्या बात करें बिलासपुर के अधिकारियों को भू विस्थापितों से बात करने के लिए बिलासपुर के ऐसी दफ्तरों को छोड़कर सड़कों पर आना ही होगा तभी आगे की बात होगी यह बोलते हुए किसान सभा के साथ शामिल सभी प्रतिनिमंडल के सदस्य बैठक छोड़कर बाहर आ गए।
बैठक में शामिल माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू विस्थापितों की मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार गेवरा प्रबंधन के पास है ही नहीं तो बैठक का कोई मतलब नहीं है बिलासपुर के सक्षम अधिकारियों को बैठक में आना चाहिए था जो निर्णायक निर्णय ले सके। आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा निर्णायक निर्णय एसईसीएल को लेना ही होगा। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है।
किसान सभा ने कहा कि 19 जुलाई से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की है आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार,मुआवजा, बसावट, के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। भू विस्थापितों के आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसी सरकार ने और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। आज भी हजारों भूविस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।
किसान सभा के नेता दीपक साहू, जय कौशिक आदि ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके।
प्रचार अभियान में प्रमुख रूप से शिवदयाल कंवर,बसंत चौहान,वीर सिंह,सुभद्रा कंवर,राजेश,जय कौशिक,संजय,प्रमोद,गोपाल,जोहित शामिल रहे।
घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की प्रमुख मांगों में –
1) पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण कर सभी भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान किया जाये।
2) जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और कि जा रही है उन सभी छोटे बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाये।
3) शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को रोजगार प्रदान किया जाये।
4) अधिग्रहित ग्रामों को पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
5) कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित किये गये जमीनों को मूल किसानों को वापस किया जाये।
6) एसईसीएल में आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100% रोजगार में रखा जाये।
7) प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाये।
8) पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये।
9) पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गए मकानों, शोचालयो का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिया जाये।
10) डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव में किसानों को हुये नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान किया जाये।
11) विजयनगर(बरेली,खुसरूडीह, कोसमंदा,बिंझरा),गंगानगर,नेहरू नगर,भैसमाखार,वैशालीनगर, बेलटिकरी,सिरकी समेत पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराया जाये।
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