दुर्ग, 17 जुलाई । खाल तस्करी मामले में दुर्ग उडनदस्ता द्वारा कार्यवाही किए जाने के बाद इधर राजनांदगांव के वन महकमे में खलबली मच गई है। तस्करी के इस गिरोह के भंडाफोड़ से जहां खैरागढ वन मंडल के अफसर सवालों के घेरे में हैं, वहीं इस कार्यवाही से स्थानीय महकमे का सांठ गांठ भी उजागर हो गया है।
खैरागढ़ वन मंडल के अधीन आने वाले डोगरगढ़-महाराष्ट्र बार्डर पर पिछले लंबे समय से तस्करी का खेल खेला जा रहा था। लेकिन अफसरों ने पूरे मामले को न सिर्फ दबाए रखा, बल्कि महाराष्ट्र के जरिए विदेशों तक नया कारीडोर बनने तक वे चुप्पी साधे बैठे रहे।
इस पूरे मामले पर गौर करें तो दुर्ग उड़नदस्ता द्वारा जिन तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, वे ही पूरे तस्करी को छग से महाराष्ट्र तक अंजाम देते थे। आरोपियों के तस्करी के खेल की लगातार शिकायत मिल रही थी। लेकिन खैरागढ वन मंडल के अधिकारियों ने अपनी भूमिका से मुंह मोड़ लिया। वहीं दूसरी तरफ जैसे ही दुर्ग उडनदस्ता को इसकी भनक लगी तो तत्काल मोहारा थाने के घोटिया में रातों रात छापामार कार्यवाही कर आरोपियों के जरिए बडे़ गिरोह तक पहुंची है।
बहरहाल इस आपरेशन में ऐसी आशंका है कि खैरागढ वन मंडल और पुलिस की तगडी सांठगांठ के चलते ही तस्करी का काम किया जा रहा था। आपरेशन के जरिए परत दर परत खुल रही षड्यंत्र के साथ ही स्थानीय वन महकमे की धड़कने तेज हो गई हैं। उल्लेखनीय है कि, विगत दिनों दुर्ग की उड़नदस्ता टीम ने डोगरगढ़ के मोहारा थाना के घोटिया गांव में पकडे तीन आरोपियों से व्यापक पैमाने पर तेंदुआ, भालू का खाल, हिरण का सिर और कछुआ बरामद किया था।
डोगरगढ के थाना मोहारा के गांव घोटिया में दुर्ग उडनदस्ता ने छापामार कार्यवाही कर तेंदुए और भालू का खाल, हिरण का सिर, कछुआ और तेदुए का नख से लेकर उन्नीस तरह के अंश बरामद किए है। जानकारी अनुसार मुलेन कुमार साहु (संदीप) पिता देवलाल साहु ग्राम मोखली राजनांदगांव का निवासी है। इसी तरह हलधर वशिष्ट आयुर्वेदिक डाक्टर और अगनू नेटी जो तेंदुए को मारा था। वही मुलेन और हलघर दोनो मेडिएटर का काम करते थे। इन्हें बीजापुर वन विभाग पूछताछ के लिए ले गई है।
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