इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के छात्र-छात्राओं हेतु गुड टच और बैड टच विषय पर विद्यालय में आयोजित की गई विशेष कार्यशाला


इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के छात्र-छात्रा अवगत हुए ‘गुड टच और बैड टच’ से ।
आज के बदलते परिवेश में अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानना ही शिक्षा की आवश्यकता और महत्व-डॉ. संजय गुप्ता।


कोरबा ,12 जुलाई । आज का जो माहौल है उसमें बच्चों को केवल यौन शिक्षा देना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे मेें बताना भी एक जरुरी विषय बन गया है। क्योंकि प्राचीन काल में जिस भारत भूमि पर हर देवता एक बार जन्म लेने के लिए तरसते थे उसी भूमि पर आज दिन प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के शोषण से संबंधित वारदात आम बात हो गई है। वर्तमान परिस्थितियों में यहाँ सर्वत्र असुरक्षा अनुभव हो रही है।रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं। मानवता पशुता में ढलती जा रही है। आए दिन बच्चों के लिए यौन शोषण, हत्या और बलात्कार जैसी जघन्य अपराध का डर बना रहता है।हर जगह काम पिपासुओं की बुरी नजर बच्चों की मासूमियत को तार-तार करने के लिए घूम रही है।


बदलते परिवेश को देखते हुए माता-पिता एवं विद्यालय की यह जिम्मेदारी अतिआवश्यक रुप से बनती है वे बच्चों को यौन शिक्षा के साथ ही साथ अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानने की भी जानकारी दें। ताकि बच्चे स्वयं भी अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हों एवं भविष्य में यदि ऐसी कोई स्थिति निर्मित भी होती है तो ऐसी परिस्थितियों से वे भली-भाँति डटकर सामना कर सकें । उपरोक्त बातों के मद्देनजर इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका में ‘गुड टच और बैड टच’ से संबंधित एक कार्यशाला एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय की शिक्षिकाओं द्वारा बालिकाओं को एवं शिक्षकों द्वारा बालकों को ‘गुड टच और बैड टच’ से संबंधित जानकारी दी गई एवं भविष्य में उनसे सुरक्षा एवं बचाव हेतु निर्देशित किया गया।


विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में यदि स्कूलों में एक स्वस्थ शिक्षा का माहौल निर्मित करना है तो सर्वप्रथम हमें बच्चों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाना होगा। आज के बदलते परिवेश में अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर पहचानना शिक्षा की आवश्यकता है। विद्यार्थियों के लिए एक सर्वोत्तम अभिप्रेरक एक आदर्श शिक्षक ही होता है ।अतः विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तक से संबंधित जानकारियों के अलावा व्यक्तिगत अंतःशारिरिक सुरक्षा की जानकारी देना भी अत्यावश्यक हो जाता है। आजकल पाठ्क्रमों में भी सरकार के द्वारा यौनशिक्षा को एक विषय के रुप में सम्मिलित करने हेतु प्रयास किया जा रहा है। जिससे छात्र-छात्र अपनी सीमा एवं सुरक्षा से अवगत होंगे। बच्चे हमारे भावी राष्ट्र निर्माता हैं। अतः उन्हें एक गुणात्मक एवं सुसंस्कृत और स्वस्थ शैक्षणिक माहौल प्रदान करना हमारा उद्देश्य रहेगा।