KORBA जिले में 15 हेक्टेयर के इलाके को ग्रीन बेल्ट बनाने की तैयारी, वन विभाग को मिला है दायित्व

बरसात में पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा काम


कोरबा, 02 जुलाई । कोरबा जिले में भी प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इसे लेकर ग्रीन जोन बढ़ाने की कवायद की जा रही है। बरसात के मौसम में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया जाना है। जिसका दायित्व वन विभाग को दिया गया है। वन विभाग ने बालको नगर क्षेत्र में योजना के अंतर्गत काम शुरू कर दिया है। लक्ष्य के अंतर्गत 15 हेक्टेयर के इलाके को ग्रीन बेल्ट बनाने की तैयारी चल रही है। 16 हजार से ज्यादा फलदार पौधे यहां पर लगाए जा रहे हैं। जो छाया के साथ-साथ फल भी देंगे और पर्यावरण को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे। वनमंडल कोरबा के अधीन बालको वन परिक्षेत्र में स्थित सोनपुरी गांव में हसदेव नदी के तट पर शीघ्र ही हरियाली बिखरने कवायद की जा रही है। वन विभाग ने यहां नदी के तट पर स्थित लगभग 15 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण का काम शुरू कर दिया है।


इस कार्यक्रम की शुरूआत रेंजर जयंत सरकार की देखरेख में शुरू की गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 16,500 फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित हुआ है। जिसके तहत अर्जुन, जामुन, शीशम सहित अन्य प्रजाति के पौधे भी रोपे जा रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही हैं की पौधे के तैयार होकर बड़े होने पर हसदेव नदी के किनारे हरियाली बिखर सकेगी। साथ ही पर्यावरण संतुलन भी बढ़ेगा।

बताया जा रहा हैं की पौधरोपण के लिए वन विभाग द्वारा पहले से तैयारी कर ली गई थी और मानसूनी बारिश का इंतजार किया जा रहा था। पिछले दिनों क्षेत्र में हुई झमाझम बारिश ने अनुकूल वातावरण तैयार कर दिया। पौधरोपण के अनुकूल वातावरण को देखते हुए वन विभाग ने पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया है। जबकि जिले में सरकारी सेक्टर के अलावा पब्लिक सेक्टर को इस वर्ष कई लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत इसे पूरा करना होगा। इस बार भी वन विभाग ने अपनी केंद्रीय और क्षेत्रीय स्तर की रोपणी में अलग-अलग केटेगरी के पौधों का रोपण करने के साथ उन्हें तैयार किया हैं। बताया गया कि यह पूरी प्रक्रिया के साथ किया जाने वाला काम है जिससे पौधे न केवल टिकाऊ साबित होते हैं बल्कि अपनी उपयोगिता को भी सुनिश्चित करते हैं। यहाँ यह बात पूर्व में ही सुनिश्चीत की जा चुकी हैं की रोपित फलदार पौधो को जीवित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंप दी गयी हैं।

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