बेघर और कम आय वाले को फ्लैट देगा जैन समाज

रायपुर ,26 जून । जैन समाज सधार्मिक ऐसे लोगों के लिए अनूठी पहल करने जा रहा है कि जिनकी सैलरी या मासिक आमदनी 15 हजार रुपए से कम है। ऐसे परिवारों के लिए मुनि सुब्रतस्वामी मंदिर व मणिधारी दादाबाड़ी न्यास ने 56 फ्लैट बनाने की पहल की है। इसके लिए लालपुर के नवकार नगर में 15 हजार वर्गफीट जमीन ली गई है। यहां सात-सात सौ वर्गफीट के फ्लैट बनेंगे।



इस कांप्लेक्स की लागत करीब 10 करोड़ रुपए होगी। इसी परिसर में 20वें तीर्थंकर मुनि सुव्रतस्वामी का प्रदेश का सबसे बड़ा श्वेतांबर जैन मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर का आकार लगभग 11 हजार वर्गफीट होगा। मंदिर और अपार्टमेंट निर्माण परियोजना की जिम्मेदारी संभाल रहे मुनि सुब्रतस्वामी मंदिर व मणिधारी दादाबाड़ी न्यास के अध्यक्ष विवेक डागा ने बताया कि आमतौर से कम आय वाले जैन परिवारों को दूर रहना पड़ रहा है।



इसलिए उन्हें जैन मंदिर आने-जाने में भी दिक्कत है। इसीलिए नवकार नगर में मंदिर के पास ही फ्लैट बना रहे हैं, ताकि समाज के लोग जब चाहें मंदिर आ सकें। उन्होंने बताया कि फ्लैट समाज के सक्षम लोगों की मदद से बनाए जाएंगे।
अपार्टमेंट जी प्लस 7 प्लोर का होगा। ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग और इसके बाद सभी फ्लोर पर आठा-आठ फ्लैट होंगे। एक फ्लैट को फिनिश करने में कुल 16-17 लाख रुपए का खर्च अाएगा। न्यास के पास ऐसे लोगों की लंबी सूची है, जो एक-एक फ्लैट का पूरा खर्च उठाना चाहते हैं।



आवंटन में दो तरह की राय
मकानों के आवंटन को लेकर न्यास के सदस्यों की दो तरह की राय है। एक वर्ग चाहता है कि संबंधित परिवार को आजीवन मालिकाना हक दिया जाए। दूसरे का तर्क है कि 5 या 10 साल के लिए दिए जाएं, ताकि वहां निवास करनेवाले अपना मकान बनाने की दिशा में काम करें।



जैन मुनियों ने दिया सुझाव
डागा ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर जैन परिवारों के लिए कुछ करने की सलाह जैन मुनि सम्यक रत्न सागर और साध्वी स्नेहयशाश्री ने दी। इसके बाद समाज के सक्षम लोगों से बात की गई, फिर यह फैसला हुआ।



नक्शा पास होते निर्माण
न्यास के सदस्य जीतेंद्र नाहर और निर्मल गोलछा ने बताया कि लालपुर के नवकार नगर में फ्लैट बनाने के लिए नगर निगम के पास नक्शा मंजूरी के लिए आवेदन किया है। अनुमति मिलते ही निर्माण शुरू हो जाएगा।



किसको मिलेंगे मकान
फ्लैट के निर्माण का खर्च उठाने वाले ही तय करेंगे कि वे फ्लैट किसे देना चाहते हैं। इससे जरूरतमंद परिवारों के चयन में आसानी हो जाएगी। अगर वे तय नहीं करते, तो फिर न्यास के सदस्य ऐसे परिवार का चयन करेंगे।