रायपुर ,26 जून । इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाले के मामले में उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पुलिस को नार्कों टेस्ट की फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट और वीडियो सीडी सौंप दी है। कोतवाली पुलिस ने इस मामले पर जांच आगे बढ़ा दी है। मामले के आरोपी बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट और सीडी पुलिस को मिलने के बाद इस पर नए सिरे से अध्ययन होगा। 45 मिनट की सीडी से कई राज खुलने की संभावना है।
उप महाधिवक्ता ने कोतवाली पुलिस को सौंपा 17 वर्ष पुराना रिकार्ड
कोर्ट के आदेश के बाद उप महाधिवक्ता ने औपचारिकताएं पूरी कर ली है। कोतवाली पुलिस के मुताबिक अब सीडी और रिपोर्ट के आधार पर केस पर नए-पुराने दोनों तरह के लोगों से पूछताछ किया जा सकता है। गौरतलब है कि बैंक घोटाले में बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा समेत 18 लोगों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया था। केस रि-ओपन होने के बाद कोतवाली सीएसपी और टीआई के नेतृत्व में विशेष जांच टीम का गठन किया गया है।
सीडी क्यों छिपाई गई यह भी जांच का विषय
इस मामले पर इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक संघर्ष समिति के अध्यक्ष कन्हैया अग्रवाल ने कहा कि 2007 से 2017 तक नार्कों टेस्ट की सीडी क्यों छिपाई गई। यह जांच का विषय है। इससे आश्चर्यजनक यह है कि वर्ष 2019 में सीडी की एफएसएल रिपोर्ट मिली। यानि सीडी में मौजूदा तथ्य को जानबूझकर जांच एजेंसियों से छिपाया जा रहा था। चूंकि अब सीडी फिर से पुलिस प्रशासन के हाथों में हैं। इसलिए इस पर गंभीरता से जांच होनी चाहिए।
16 कंपनियों के निदेशक फरार
जानकारी के मुताबिक बैंक घोटाले में 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का बंदरबांट हुआ। 16 कंपनियों को गलत तरीके से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लोन दिया गया था। पुलिस की जांच में 16 कंपनियों को निदेशकों को आज तक ढ़ूढा नहीं जा सका है। निदेशक कहां है यह पुलिस के लिए चुनौती होगी। साथ ही घोटाले में जिन 19 लोगों को आरोपित बनाया गया था। उनकी वर्तमान स्थिति और पता भी पुलिस खोज रही है।
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