“योग एक विज्ञान है और जीवन जीने की विधि है”: डॉ. शिवदयाल पटेल


कोरबा/ कटघोरा,21 जून। “योग एक विज्ञान है और जीवन जीने की विधि है, योग से तन, मन, बुद्धि में संतुलन आता है। शरीर निरोग बनता है और व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।” उक्त उद्गार डॉ शिवदयाल पटेल योगाचार्य एवं कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना शासकीय मुकुटधर पांडेय महाविद्यालय कटघोरा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में आयोजित योग कार्यक्रम के संचालन के दौरान व्यक्त किया।

छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ मनोज सिन्हा, जिला संगठक प्रो वाय के तिवारी के निर्देश एवं मार्गदर्शन और डॉ मदन मोहन जोशी प्राचार्य के संरक्षण में नवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग का आयोजन वृहद स्तर पर किया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न महाविद्यालयों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, संस्थाओं एवं कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार के गाइडलाइंस के अनुसार योग की शुरुआत “ॐ संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे, सञ्जानाना उपासते ।।” मंगलाचरण से की गई।


योगाभ्यास के शुरुआत में शिथिलीकरण का अभ्यास किया गया। जिसमें स्थिर दौड़, एड़ी तनन, घुटने का व्ययन, कमर का व्यायाम, गर्दन का व्यायाम, अर्धपद्मासन, तितली आसन, पवन मुक्तासन का अभ्यास कराया गया। सूर्य नमस्कार का अभ्यास 3 चरणों में कराया गया, जिसमे बताया गया कि सूर्य नमस्कार 12 आसनों का समुच्चय है और इन आसनों के अभ्यास से शरीर में सौर ऊर्जा की प्राप्ति होती है। शरीर ऊर्जावान और तेजस्वी बनता है। शरीर निरोग एवं स्वस्थ बनता है। आसन के अभ्यास में त्रिकोणासन, वज्रासन, मंडूकासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, नौकासन और शवासन का अभ्यास कराया गया। जिसमें आसनों की विधि, सावधानियां एवं लाभ के बारे में बताया। प्राणायाम में कपालभाति क्रिया, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, उद्गीद प्राणायाम का अभ्यास कराया गया। योगाचार्य ने परिचर्चा में बताया कि योग भारत की देन है और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकारोक्ति भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने योग के इतिहास और विश्व में प्रचार- प्रसार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के संचालक डॉ शिवदयाल पटेल ने समस्त प्रतिभागियों को नियमित रूप से योग करने का संकल्प दिलाया। “सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् भागभवेत” शांति पाठ के साथ ही योग कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


इस योगाभ्यास कार्यक्रम में 30 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम को सफल बनाने मे डॉ मदन मोहन जोशी प्राचार्य, डॉ श्रीमती पूनम ओझा, नूतनपाल कुर्रे, प्रतिमा कंवर, मनहरण अनंत, भुनेश्वर पाटले, शैलेन्द्र सिंह ओट्टी, धर्मेंद्र कुमार, मनहरण सिंह श्याम, क्रांति कुमार दीवान, कीर्ति मरकाम, सरस्वती राज, कंचन देवी कोरम, विकास जायसवाल, सूर्या मानिकपुरी, महिपाल दीवान, मनराखन अगरिया, संध्या यादव, धनेश्वरी राजवाड़े, अमन पांडे, सूरज साहू, पारुल निषाद, तुषार तिवारी, अविनाश कुमार, अनित यादव, प्रीति तिग्गा, चित्रिका उपाध्याय, बिंदु पटेल, पृथ्वी कुमार, हेमा डिकसेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस योग कार्यक्रम में व्यापक सहभागिता के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको ने दीवार लेखन