प्रसिद्ध लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष नियुक्त

बिलासपुर, 19 जून I संस्कार भारती छत्तीसगढ़ की 22 वीं प्रांतीय साधारण सभा बिलासपुर में 17-18 जून 2023 को संपन्न हुई । साधारण सभा में प्रदेश के जिला इकाई के प्रमुख कार्यकर्ता एवं प्रदेश की प्रबंधकारिणी के सदस्य सहित मध्य क्षेत्र एवं अखिल भारतीय प्रतिनिधि उपस्थित थे । सामूहिक ध्येय गीत एवं परिचय पश्चात साधारण सभा के सदस्यों के समक्ष अनेक प्रस्ताव रखे गए जिसमें गत वर्ष की कार्यवाही , आय-व्यय , प्रदेश के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कला शिक्षक का पद सृजन करने हेतु राज्य शासन को दिया जाने वाला प्रस्ताव शामिल हैं ।

लेकिन सभा के समक्ष सबसे प्रमुख प्रस्ताव संस्कार भारती छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता के लिए रखा गया । गत वर्ष संस्कार भारती के प्रांतीय अध्यक्ष श्री अशोक चंद्राकर जी के आकस्मिक निधन के कारण इस रिक्त पद हेतु  सभा के समक्ष लोक कला के सुप्रसिद्ध कलाकार एवं देश के एकमात्र लोक वाद्य संग्राहक भिलाई के श्री रिखी क्षत्रिय का नाम प्रस्तावित किया गया ,  प्रांत की साधारण सभा ने एकमत से सहर्ष प्रस्ताव को पारित किया* ।

दो दिनों तक चली बैठक में संस्कार भारती के जिला महामंत्रियों ने गत वर्ष उनके जिले में संस्कार भारती के तत्वावधान में हुए कार्यक्रमों का ब्यौरा प्रस्तुत किया ।  प्रांतीय विधा संयोजक श्री कीर्ति व्यास ने संगीत , श्री रिखी क्षत्रिय ने लोक कला ,श्री विश्वनाथ कश्यप ने साहित्य ,श्रीमती सूर्यकांता कश्यप ने भू अलंकरण , श्री हरि सिंह क्षत्री ने पुरातत्व एवं श्री चंद्रशेखर देवांगन ने चित्रकला विधा में गत वर्ष हुए कार्यक्रमों से सभा को अवगत कराया एवं अगले सत्र की योजना प्रस्तुत की ।

मध्य क्षेत्र प्रमुख श्री अनिल जोशी जी ने संस्कार भारती में राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे चिंतन की ओर सभा का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि सनातन भारतीय चिंतन के आधार पर कला जगत का संचालन करना यही संस्कार भारती का लक्ष्य है । कला क्षेत्र की वर्तमान चुनौती को पहचानते हुए हमें एक सकारात्मक वातावरण तैयार करना होगा । अखिल भारतीय प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय लोक कला विधा सहसंयोजक श्री निरंजन पंडा ने श्री रिखी क्षत्रिय के अध्यक्षीय दायित्व को स्वीकारने पर कहा कि संस्कार भारती में पद नहीं दायित्व सौंपा जाता है जिसे कार्यकर्ता पूर्ण करने का यथासंभव प्रयास भी करता है । कला समाज के ह्रदय का संचालन करता है ,कला का प्रभाव व्यापक है वह हमें सकारात्मक दिशा प्रदान करती है । सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने आगामी वर्ष आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कला साधक संगम में प्रदेश की कलात्मक प्रस्तुति पर अपने सुझाव दिए ।

समापन सत्र में कोरबा के पुरातत्ववेत्ता श्री हरि सिंह क्षत्री द्वारा लिखित पुस्तक *हसदेव घाटी की पुरातात्विक संपदा : प्रथम सोपान* का लोकार्पण किया गया । इस पुस्तक में श्री हरि सिंह द्वारा कोरबा जिला में खोजे गए शैल चित्र , शैलाश्रयों  व अन्य पुरातात्विक महत्व के स्थलों का सचित्र वर्णन है । मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बिलासपुर विभाग संघचालक मा. प्रदीप देशपांडे जी ने कहा यदि कला के माध्यम से नवजीवन लाना है तो जिस तरह कला में अनुशासन व संस्कार होता है वैसे ही प्रत्येक कार्यकर्ता और कला साधक में भी होनी चाहिए ।

इसके लिए प्रयत्न और साधना की आवश्यकता होती है । नर से नारायण बनने की ओर प्रवृत्त करने वाली कला ही समाज और व्यक्ति के उत्थान में सहभागी होती है । मुख्य अतिथि के रूप में भिलाई से पधारे अनूप बंसल जी ने पुरातत्व में श्री हरि सिंह क्षत्री और संस्कार भारती द्वारा किए जा रहे कार्य की प्रशंसा की । आपने कहा कि हमारे समृद्ध इतिहास की जानकारी आगामी पीढ़ी को हो इस हेतु ऐसे प्रकाशन का बहुत महत्व है । लिखा हुआ साहित्य अगली पीढ़ी के मार्गदर्शन का काम करता है । नवनियुक्त प्रांत अध्यक्ष श्री रिखी क्षत्रिय ने कहा कि मैं पूरे मनोयोग से संस्कार भारती के उद्देश्यों के अनुरूप अध्यक्षीय दायित्व का निर्वहन  करने का प्रयत्न करूंगा । आप सबके सहयोग से संस्कार भारती छत्तीसगढ़ अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करेगी ।

गत वर्ष देश प्रदेश के दिवंगत हुये प्रमुख  कलाकारों एवं संस्कार भारती के सदस्यों के परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस अवसर पर शनिवार 17 जून को सायं बाल संगीत सभा में बिलासपुर के कलाकारों की शास्त्रीय एवं सुगम संगीत , बांसुरी वादन एवं शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुतियां हुई । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग से पधारे प्रदेश के वरिष्ठ वायलिन वादक एवं संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संगीत विधा संयोजक श्री कीर्ति माधव व्यास ने कहा कि इन बाल कलाकारों की मंच पर प्रस्तुति देखकर ऐसा लगता है कि सनातन काल से चली आ रही शास्त्रीय संगीत की परंपरा आगे भी विश्व में अपना प्रमुख स्थान रखेगी ।

साहित्य विधा संयोजक श्री विश्वनाथ कश्यप ने काव्यात्मक अंदाज में आभार व्यक्त किया । वंदे मातरम् के सामूहिक गान से 22 वीं साधारण सभा का समापन किया गया ।

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